सर्राफा कारोबारियों की बंदी से कहीं सूनी न रह जाये दूल्हन की कलाई
संजीव श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर। पिछले 12 दिनों से सिद्धार्थनगर का सर्राफा कारोबार बंद है। इससे बाजारों में रौनक गायब है। सोने- चांदी के खरीददारों के चेहरों पर मायूसी साफ देखी जा सकती है। सर्वाधिक परेशानी उन घरों में जिनके यहां शादी होने वाली है। उन्हें अपनी लाडली को देने के लिए विभिन्न प्रकार जेवरात नहीं मिल पा रहे हैं।
हिन्दू शास्त्र के अनुसार 14 मार्च से 14 अप्रैल तक खरवास शुरु हो गया है। इसके बाद लगन का मूर्हत शुरु हो जायेगा, मगर मुस्लिम वर्ग में तो शादी व विवाह को लेकर कोई बंधन नहीं होता है। हिन्दू हो या मुस्लिम वर्ग जेवरातों के आर्कषण से अछूते नहीं है। हर वर्ग में शादी-विवाह के अवसर पर तमाम प्रकार जेवरात खरीदे जाते हैं।
मालूम हो कि एक्साइज डयूटी की दरों में बढ़ोत्तरी को वापस लेने की मांग को लेकर देश भर के सर्राफा कारोबारी आंदोलन कर रहे है। अपने आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने 12 दिनों से कारोबार भी बंद कर रखा है। सिद्धार्थनगर में भी सर्राफा व्यवसायी भी अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से एकजुट हैं।
सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल से न केवल बाजारों में सन्नाटा पसरा है, बल्कि शादी विवाह की तैयारियों के काम में भी ब्रेक लग गया है। ग्राम जगदीशपुर खुर्द के निवासी राम सजीवन रस्तोगी का कहना है कि उनकी बेटी की शादी 18 अप्रैल को तय है। सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। केवल जेवरातों की खरीददारी बाकी है। किसी प्रकार पैसों का इंतजाम हुआ है, मगर ज्वेलर्स की दुकान बंद होने से पैसे खर्च हो जा रहे हैं। ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।