डुमरियागंज बुलडोजर कांड: क्या व्यवस्था की क्रूरता के चलते गई भठ्ठा मालिक सईद की जान

January 11, 2024 1:51 PM0 commentsViews: 1786
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बीमार भट्ठा मालिक सईद मलिक घटना स्थल पर थे ही नहीं, आखिर किन हालात और उन पर दर्ज किया गया मुकदमा, 82 साल के बुजुर्ग से क्यों नहीं बरती गई तनिक भी सहानुभूति

नजीर मलिक

चित्र परिचय— मेडिकल कालेज लखनऊॅ में में इलाज करा रहे रहे स्व, सईद मलिक

सिद्धार्थनगर। नायब तहसीलदार डुमरियागंज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किये गये आरोपियों से एक सईद मलिक ने कल दोपहर अपरान्ह पुलिस अभिरक्षा में लखनऊ मेडिकल कालेज में दम तोड दिया। भट्ठा चलाने वाले 82 साल के बुजुर्ग सईद मलिक गुर्दे के गंभीर रोग से ग्रस्त थे तथा जीवन रक्षक दवाइयों के भरोसे चल रहे थे।  स्वयं स्व. मलिक के अनुसार इस केस से उनका कोई वास्ता नहीं था। वह तो व्यवस्था की क्रूरता का शिकार हुए थे।  उनका कहना था कि उनका कसूर सिर्फ इतना था कि जिस जेसीबी चालक से  नायब तहसीलदार का विवाद हुआ था,वह घटना के दिन उनके भट्ठे पर काम कर रहा था और वह भट्ठे पर मौजूद ही नही थे। ऐसे में यही लगता है कि अगर व्यवस्था ने उनके प्रति तनिक भी सहानुभति बरती होती तो उन्हें असमय जान न देनी पड़ती।

गंभीर बीमारी के बावजूद उनसे सहानुभूति न बरती गई

महसील मुख्यालय डुमरियागंज से सटे ग्राम मिज्ञौलिया जब सईद मलिक को गिरफ्तार किया गया तो वह किडनी की गंभीर बीमारी से पड़ित थे। उन्होंने लाख सफाई दी, कि वह ८२ साल के हैं तथा बीमार हैं। यही नहीं  घटना के दिन वह मौके पर मौजूद भी नहीं थे, मगर पुलिस और प्रशासन ने उनकी एक न सुनी।  पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर सिद्धार्थनगर कारागार में भेज दिया। वह बीमार तो थे ही,  वहां जरूरी दवाइयां न मिलने से उनकी हालत बिगड़ी तो उन्हें सिद्धार्थनगर मेडिकल कालेज, वहां से गोरखपुर मेडिकल कालेज और फिर वहां से लखनऊ मेडिकल कालेज भेजा गया जहां जिंदगी और मौत के बीच लगभग 15 दिन जूझने के बाद जिस दिन उनकी जमानत अर्जी स्वीकार की गई उसी दिन उन्होंने दम तोड़ दिया। वह अपनी रिहाई का आदेश भी नहीं देख पाये। लोग आदेश लेकर लखनऊ जा ही रहे थे कि रास्ते में फोन पर खबर मिली कि वह नहीं रहे।

क्या थी पूरी घटना की कहानी

कहानी कुछ इस प्रकार है कि भवानींगंज थाना क्षेत्र के बनगवा गांव के पास में सईद मलिक का भट्ठा है। गत 16 दिसम्बर शनिवार को उनके भट्ठे पर मिट्टी की खुदाई चल रही थी। उसी समय नायब तहसीलदार महबूब आलम उसी क्षेत्र में राजस्व वसूली हेतु निकले थे। इसी दौरान ट्रॉलियों पर मिट्टी लदी निकलता देखा। इसके बाद बनगंवा नानकार गांव में खनन वाले स्थल पर पहुंचे। जहां खनन से संबंधित कागजात मांगने पर कगजात दिखाने के बजाए गाड़ी लेकर भागने लगे, जिसका पीछा करने के दौरान जान से मारने की नीयत से गाड़ी में जेसीबी से टक्कर मार दिया। इससे गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई, मगर वह बच गए। नहीं तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी। इसके बाद बाद पुलिस को सूचना दी गई। भवानीगंज पुलिस ने घेराबंदी की तो चालक जेसीबी मशीन भड़रिया चौराहे के पास छोड़कर फरार हो गया। राजस्व कर्मियों के मदद से जेसीबी मशीन को डुमरियागंज तहसील परिसर में लाया गया। जिसे रविवार को भवानीगंज पुलिस को कार्रवाई के लिए सुपुर्द कर दिया गया। इसके बाद, चालक, जेसीबी मलिक व भट्ठा मालिक सईद मलिक केखिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर स्व, सईद को गिरफ्तार कर लिया गया।

व्यवस्था की क्रूरता के चलते गई जान?

दरअसल यह कहें कि “व्यवस्था की क्रूरता के चलते सईद मलिक की जान गई” तो गलत न होगा।पहले तो एक निर्दोष को झूठे केस में फंसाया गया। इसकी पुष्टि पुलिस की केस डायरी से होती है। केस डायरी में जांच अधिकारी ने घटना के दिन सईद मलिक का भट्ठे पर मौजूद न हाना दर्ज किया है। और यदि होते भी तो क्या, घटना तो वहां से  काफी दूर हुई थी। बहरहाल वह क्षेत्र के प्रतिष्ठित आदमी थे और बीमार थे। इन्हें गिरफतारी के तत्काल बाद भी अस्पताल भेजा जा सकता था। कम से कम पुलिस और प्रशासन इतनी रियायत तो कर ही सकता था। यही नहीं उन्हें १० जनवरी को जमानत मिली। इससे पहले भी उनकी जमानत की अर्जी इसलिए स्वीकृत नहीं हो पायी कि उस दिन हड़ताल हो गई थी।  अगर उससे पहले की तारीख में जमानत मिल गई होती तो मौत से पहले वह कम से कम अपनी रिहाई का एहसास कर मरने से पहले सुकून तो पा ही लेते। लेकिन शायद कैद में आखिरी सांस लेना उनका नसीब था। और यह बदनसीबी भारत की क्रूर व्यवस्था के चलते ही उन्हें मिली?

फंसाने वालों को कुदरत सजा जरूर देगी

क्श्या सई मलिक को किसी दबााव के चलते फंसाया गया ? इस बारें में उनके पुत्र अख्तर मलिक कहते हैं कि दबवा का शक तो होता है तगर वे किसी पर बिना सबूत आरोप भी तो नहीं लगा सकते। वे कहते हैं कि उनके वालिद तो एक दाग के साथ जन्नतनशीं हुए हैं। मगर उनकी लड़ाई अब भी जारी रहेगी। वह चाहते हैं  कि उन पर लगा यह दाग छूट जाए। उन्हें निर्दोंष साबित करने के लिए वह हर मुमकिन कोशिश करेंगे और जिन लोगों ने उन्हें फर्जी तरीके से उत्पीड़ित किया है उन्हें एक दिन कुदरत अवश्य सजा देगी।

 

 

 

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