अपने पैतृक गांव के टूटे दिलों को जोड़ने में कामयाब रहे सदर विधायक
… हमें अपनी गलती मानने में कभी झिझक नहीं होती है-विजय पासवाल
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। गत दिवस जिले के लोटन ब्लाक स्थित गदामरवा गांव में काफी गहमा–गहमी मची थी। लगभग 4 हजार की आबादी वालें इस गांव में पास–पड़ोस के आधा दर्जन गांव के लोग भी जुटे थे। मामला था गांव में आयोजित महापंचायत का और जनता की अदालत में खड़े थे सदर विधायक विजय पासवान। गदामरवा विधायक पासवान का पैतृक गांव है।
दरअसल गदामरवा गांव में निजी विवाद को लेकर दो गुट चल रहे थे। गुटिय राजनीति का असर विधायक की राजनीति पर भी पड़ रहा था। नतीजतन उन्होंने साहसिक फैसला लिया और जनता की अदालत में खुद को पेश कर दिलों को जोड़ने की बात कही।
भावुक हुए सदर विधायक
सूत्र बताते हैं कि गांव में हजारों की भीड़ के सामने विधायक ने भावुक होकर कहा कि उनके गांव में दो गुट होना शर्मिंदगी की बात है। अपने गांव के विरोधी तथा प्रधान पति लड्डन के बारे में उन्होंने सफाई दी और कहा कि इसके बावजूद भी अगर वो गलत थे तो वह सबसे माफी मांगते है। अपनी गलती मानने में उन्हें कोई झिझक नहीं है।
विधायक इस भाषण के बाद गांव के दूसरे गुट का सारा विरोध एक झटके में जाता रहा। ग्रामीणों ने कहा कि विधायक जी के इस बड़प्पन ने हमारे दिलों में बैठा गुबार खत्म कर दिया है। आस–पास के गांवों के लोगों ने भी लड्डन प्रधान और विधायक पक्ष एक होने का जमकर समर्थन किया। जिसकी क्षेत्र में बेहद चर्चा है।
हम एक हैं और आगे भी एक रहेंगे
बताते है कि दूसरे गुट के अगुवा लड्डन ने भी आगे बढकर कहा कि अब उन्हे कोई शिकायत नहीं है। आज से गांव की गुटबंदी खत्म हुई अब गांव में दलों की नहीं दिलों की बात होगी। घंटों चली पंचायत में इस फैसले के बाद लोगों के चेहरे खिले हुए थे। अरसे की दुश्मनी का कहीं पता न था। इस पंचायत ने मो. अयूब, लड्डन खां प्रधान, मो. हबीब, चन्द्रभाल, गफ्फार खां, मिनकू आदि शामिल रहे।