सीएम योगी के कार्यक्रम से आखिर क्यों नदारद रहा भाजपा का झंडा? दुखी है भाजपाई कैडर

April 3, 2018 4:26 PM0 commentsViews: 1413
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— भाजपा का झंडा न लगाये जाने को लेकर खांटी वर्करों में गुस्से और बेचैनी, लेकिन डर की वजह से नही हो रहे मुखर

—भाजपा के जिला अध्यक्ष व पूर्व जिला अध्यक्ष कर रहे गोल मटोल बातें, कर रहे विरोधाभासी बातें

नजीर मलिक

सीएम का सभस्थल जहां भाजपा का कोई झंडा नहीं

यूपी के सिद्धार्थनगर में कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम में  हर तरफ भागवा ध्वज फहरा रहा था। लेकिन आश्चर्य की बात थी कि कार्यक्रम स्था और उसके असपास पास कहीं भी भारतीस जनता पार्टी का एक भी झंडा नहीं टांगा गया था। पार्टी के झंडे की इस उपेक्षा कि भाजपा के हलकों में क्षेभ के साथ बड़ी चर्चा है।  लोग कह रहे हैं कि भाजपा के राजनीतिक इतिहास में ऐसी कभी नहीं हुआ।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल सिद्धार्थनगर में प्रदेश के स्कूल चलो अभियान की रैली को हरी झंडी दिखाने आये थे। कार्यक्रम में एक जनसभा का आयोजन और नगर की एक दलित बस्ती की निरीक्षण भी शामिल था। इस अवसर पर जेल रोड सभास्थल भगवा ध्वज से पटा हुआ था। इसके अलावा वहां  से लेकर शेखनगर वार्ड कि मलिन बस्ती तक के मार्ग पर सड़क के दोनों ओर भगवा ध्वज टांगे गये थे। मगर इनके बीच भाजपा का कमल निशान वाला एक भी झंडा कहीं नहीं दिख रहा था।

यह शायद यूपी में पहला अवसर है जब प्रदेश का कोई सीएम किसी सार्वजनिक मंच पर गया हो और वहां पर उसकी पार्टी का झंडा  न लहराया हो। कल योगी जी की सभा में कई भाजपाई इसे लेकर खुसर फुसर कर रहे थे। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बाद यह चर्चा और बढ़ गई। भाजपा के कई वर्कर इसे पार्टी पर योगी के निजी संगठन हिंदू यूवा वाहिनी के वर्चस्व के रूप में देख रहे हैं, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से कोई नहीं कह पा रहा है। इस बारे में जब भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष नरेन्द्र मणि त्रिपाठी से सवाल किसया गया तो उन्होंने कहा कि वे दूसरे जिले कि प्रभारी हैं। इस बारे में क्या बता सकते हैं।

भाजपा जिलाध्यक्ष राम कुमार कुंवर ने विरोधाभासी बातें कहीं

सीएम योगी के कार्यक्रम में भाजपा का झंडा नहीं टांगे जाने के सवाल पर भाजपा जिला अध्यक्ष राम कुमार कुंवर ने दो विरोधाभासी बातें कहीं। पहले उन्होंने कहा कि यह प्रशासन की रैली थी, उन्हें देखना चाहिए था। फिर सम्हलते हुए कहा की दरअसल जिसे झंडा लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी, उसने नहीं लगाया। उन्होंने आगे कहा कि यह चूक है, इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।

भाजपा के इन दोनों पदधिकारियों की गाल मटोल बातों से यह लगता है कि वे स्थिति का सरलीकरण कर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के पुराने लोग इसे एक राष्ट्र पार्टी की दुर्गति की संज्ञा दे रहे हैं। उनका कहना है कि मूल पार्टी से कोई भी सहयोगी अथवा अनुषांगिक संगठन बड़ा नहीं हो सकता है। यह दुखद स्थिति है।

 

 

 

 

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