मेडिकल छात्रा की फांसी लगा कर मरने पर उठे कई सवाल, क्या सहेली बता सकती है सच?

October 9, 2024 1:04 PM0 commentsViews: 668
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नजीर मलिक

बाईस साल की मेडिकल आट्रोमेट्री की छात्रा शशिकला की रहस्यमय हालात में खुदकशी की मामला ऊपर से जितना सीधा लगता है, अंदर से उतना ही उलझा हुआ है। उसकी लाश मौत इतनी रहस्यमय है कि न तो शशिकला के मकान मालिक परिवार परिवार को कुछ पता है न ही पड़ोसियों को। घटना की एक मात्र गवाह मृतका शशिकला की रूम पार्टनर ही है।ए मगर उसके बयान में इतना झोल है कि सब कुछ अपने आप रहस्यमय बन जा रहा है।

शहर के एक निजी पैरा मेडिकल कालेज में पढ़ने वाली डिप्लोमा की छा़त्रा शशिकला कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया थाने के कऊसार गांव के प्रसून कुशवाहा की पुत्री थी। फिलहाल वह मुख्यालय के वन विभाग के कालोनी में एक कर्मी के मकान में रह एक अन्य छात्रा के साथ किराये पर रह रही थी। जैसा कि उसकी सहेली आरती (परिवर्तित नाम) बताती है कि मंगलवार को तबीयत ठीक न होने की बात कह कर शशिकला रूम पर ही रह गई थी। और वह अकेले ही कालेज गई थी। दोपहर को लगभग 2 बजे जब वह कालेज से वापस आई तो कमरे में शशिकला की लाश छत के कुंडे से लटक रही थी। वह फौरन लाश कुछ लोगों की मदद से उतार कर मेडिकल कालेज ले गई जहां डाक्रों ने मृत घोषित कर दिया।

अब सवाल उठता है कि क्या शशिकला की सहेली आरती का बयान सच है? आरती खुद 22-23 साल की है। वह पैरा मेडिकल की छात्रा है।वह लाश की नब्ज टटोल कर जान सकती है कि उसमें जान बाकी है या नहीं। इसके बावजूद उसने न तो  नब्ज जांचा, न पुलिस को नहीं बुलाया और डेड बाडी लेकर मेडिकल कालेज चली गई। दूसरी तरफ शशिकला की मकान मालकिन का कहना है कि वह बीमार नहीं लग रही थी और अपने कमरे में पढ़ रही थी। यही नहीं अगर शशिकला ने आत्महत्या की है तो उसका कोई कारण होना चाहिए। लेकिन छानबीन में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिससे उसके दुखी होने का अंदाज लगाया जा सके। मुहल्ले में यह भी चर्चा आम है कि जरूर कुछ ऐसा है जिसे छुपाया जा रहा है।

पुलिस भी गहन छानबीन करने के बजाये पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा में है। मृतका शशिकला के परिवार के लाग भी इस घटना को लेकर उदासीन है। इस बात पर विचार किया जाना जरूरी है कि कहीं किसी से प्रेम प्रसंग के चलते तो उसने जान नहीं दी। या उसका किसी प्रकार का उत्पीड़न आदि तो नहीं किया जा रहा था जिसकी वजह से वह जान देलने पर मजबूर हुई हो? क्याकि कि आमतौर पर आत्महत्या तभी की जाती है जब किसी दुख के सहन की सीमा समाप्त होने लगती है। इस बारे में शहर कोतवाल संतोष तिवारी ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और अभी तक परिवार की ओर से कोई शिकायत भी नहीं की गई है।

 

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