शोहरतगढ़: बाप-बेटे में हो सकती हैै जबरदस्त जंग, दिलचस्प रहेंगे चुनावी मुद्दे
एक दूसरे की जंग में तीसरेे पक्ष केे रूप मेंं अपना दल एस उठा सकता है लाभ
नज़ीर मलिक
सिद्धार्थनगर। ज़िले की शोहरतगढ़ विधानसभा सीट की लड़ाई दिलचस्प हो सकती हैै। इस सीट से जहां कि कांग्रेस ने चार बार विधायक रहे रवीन्द्र प्रताप उर्फ पप्पू चौधरी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है, वहीं भाजपा से उनके बेटे सिद्धार्थ चौधरी नेे टिकट की दावेदारी कर चुनाव को रोचक होने का संकेत दे दिया है। हालांकि गत चुुनाव में यह सीट अपना दल के हिस्सेे में आई थी आज भी अपना दल के हेमंंत चौधरी टिकट के सशक्त दावेेदार है। अगर टिकटों के उलट पुलट के दौर में कही यह सीट भाजपा केे खातें मेें गई तो चुनाव रोचक और रोमांचक हो सकता है। पप्पू चौधरी इलाके के बड़े जमींदार माने जाते हैं। वह आर्थिक रूप से काफी सम्पन्न हैं तो सिद्धार्थ चौधरी उन्हीं के पुत्र है जो पैसे के साथ केन्द्रीय मंत्री पंकज चौधरी का भांजा होने की भी हैसियत रखते हैं। दोनों बाप बेटे ढेकहरी कोठी व घरूआर कोठी में अलग अलग रहते हैं। अलगाव का करण पारिवारिक विवाद बताया जाता है।
राजनीतिक इतिहास
मिली जानकारी के अनुसार शोहरतगढ़ सीट से वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी पप्पू चौधरी के मुकाबले पहले सिद्धार्थ चौधरी की मां और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष साधना चौधरी ने तीन चुनाव लड़ीं मगर तीनो चुनाव बुरी तरह हारी। इस दौरान पप्पू चौधरी मात्र एक बार ही जीत सके। साधना चौधरी के लड़ने से इतना ज़रूर हुआ कि वह भी हारने लगे। जब तक साधना चौधरी मैदान में नही थीं, पप्पू चौधरी 91, 93 व 96 का चुनाव आराम से जीते। बाद के चार चुनावों में वह मात्र एक बार ही जीत सके। इसका कारण कुर्मी वोटों में साधना चौधरी द्वारा बंटवारा कर देना होता था।
भाजपा से साधना चौधरी की निरन्तर पराजय देखकर इस बार भाजपा ने अपनी रणनीति बदली और साधना चौधरी के बजाए उनके पुत्र सिद्धार्थ चौधरी को टिकट दिया है। बता दें कि पति पत्नी में विवाद है और सिद्धार्थ अपनी मां के साथ रहते है। वर्तमान में वे ब्लॉक प्रमुख भी है। परंतु यहां सवाल है कि जब तेज़ तर्रार नेत्री के रूप में साधना चौधरी, पप्पू चौधरी के सामने ठहर नही पायीं तो राजनीतिक रूप से अपरिपक्व सिद्धार्थ चौधरी पिता के मुकाबले कितना कमाल कर पाएंगे? वैसे जानकारों का कहना है पप्पू चौधरी और साधना चौधरी के बीच बेहद आक्रामक चुनावी जंग होती रही है, मगर इस चुनाव में पप्पू चौधरी बेटे के सामने शायद उतना आक्रामक न हो पाए जितना कि साधना चौधरी के प्रति होते थे।
क्या है जातीय समीकरण
बताते चले कि इस सीट पर कुल 3.58 लाख मतदाता हैं। जिनमे मुस्लिम 26 प्रतिशत, दलित 16 प्रतिशत तथा कुर्मी 12 व ब्राह्मण 10 प्रतिशत हैं। अन्य में ओबीसी, राजपूत, कायस्थ व वैश्य हैं। पप्पू चौधरी का बढ़नी विकास खंड के मुस्लिम समाज मे बहुत असर मन जाता है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि बाप बेटे के बीच चुनावी मुद्दे क्या रहेंगे। क्या पूर्व के चुनावों की भांति दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाएंगे या बाप बेटे एक दूसरे का लिहाज़ कर विशुद्ध राजनीतिक मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे।
अंतिम समाचार मिलने तक इस सीट पर भाजपा गठबंधन का फैसला नहीं हो सका था। रिकार्ड के मुताबिक सीट पर हक तो अपना दल एस का ही बनता है परन्तु सियासत में कब क्या होजाए, कह पाना कठिन होता है।