गजबः डीआईओएस ने सांसद के छुए पांव, संस्कृति का पालन या चापलूसी की संस्कृति?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ में आयोजित मंडलीय खेल कूद रैली में जिला विद्यालय निरीक्षक सोमारू प्रधान द्धारा क्षेत्रीय सांसद के पैर छूने का प्रकरण से यहां राजनीतिक व बौद्धिक हल्कों में तूफान मच गया है। डयूटी के दौरान किसी अधिकारी द्धारा सार्वजनिक रूप से किसी राजनीतिज्ञ का पैर छूना जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग डीआईओएस के इस आचरण को सरकारी सेवा नियमावली के प्रतिकूल बता कर उनके कृत्य की निंदा भी कर रहे हैं। मगर वह खुद इसे भारतीय परम्परा का पालन बता कर बचने की कोशिश कर रहे हैं। नियम कानून जाये भाड़ में।
जिले में एक विडियो वायरल हो रहा है। जिसके अनुसार मंगलवार को शोहरतगढ़ (छतहरी) के स्टेडियम में माध्यमिक शिक्षा परिषद का खेल कूद का आयोजन था। दोपहर को जब मुख्य अतिथि व क्षेत्रीय सांसद जगदम्बिका पाल कार्यक्रम में पहुंचे तो उनका स्वागत करते वक्त जिला विद्यालय निरीक्षक सोमारू प्रधान अचानक झुके और उनका पैर छूते हुए उन्हे प्रणाम किया और आशीर्वाद मांगा। बदले में सांसद ने उनके सर पर हाथ रख कर उनको आशीर्वाद दिया भी। इस घटना को देख कर स्टेडियम में मौजूद बुद्धिजीवी तबका हतप्रभ रह गया। जिले के शिक्षा विभाग के एक प्रमुख का यह आचरण ठीक वैसे ही था, जैसे एक अशिक्षित का होता है। जिला विद्यालय निरीक्षक का यह आचरण सरकारी सेवा नियमावली के बिलकुल विपरीत था।
कुछ लोगों का कहना था कि माना सांसद विधायक जैसे जनप्रतिनिधि का प्रोटोकाल होता है, लेकिन भारत की संवैधनिक व्यवस्था के अनुसार पद पर रह कर किसी अफसर का इस प्रकार किसी जनप्रतिनिधि के पैर छूने का आचरण सरकारी सेवा नियमावली के खिलाफ माना जाता है। इस कृत्य के लिए उन्हें कार्रवाई का सामना भी पड़ सकता है। नगर निवासी बी.के.गुप्ता कहते हैं कि ऐसे मामले को यह कह भी नहीं टाला जा सकता कि जनप्रतिनिधि की आयु उक्त अधिकारी कि उम्र से ज्यादा थी। वास्तव में यह पद की गरिमा का सवाल है। सरकारी सेवा नियमावली में इसीलिए इस प्रकार का कृत्य मान्य नहीं किया गया है।
प्रधान क्यों झुके सांसद के पैरों पर?
इस सम्बंध में स्टेडियम में मौजूद सूत्रों का कहना है कि घटना के समय जब सांसद पाल वहां पहुंचे तो इस बात को लेकर नाराज हुए कि अतिथियों के लिए तो छायादार टेंट की व्यवस्था है, लेकिन बच्चे और खिलाड़ी धूप में खड़े हैं। इस बात से सांसद पाल नराज भी हुए। सूत्रों के मुताबिक सांसद पाल की नारजगी को देखते हुए डीआईओएस सोमारू प्रधान ने चापलूसी की नीयत और उनका गुस्सा शांत करने के लिए उनके पैर छूए। वरना इस घटना से पूर्व सोमारम प्रधान साहब का जाने कितनी बार सांसद पाल से आमना सामना हुआ होगा, मगर भारतीय परम्परा व संस्कृति के मद्देनजर सोमारू साहब ने पहले कभी उनके पैर नहीं छुए। जाहिर है कि सोमारू प्रधान साहब संस्कृति की झूठी दुहाई देकर अपने कुविचारों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं।
इस प्रकरण पर क्या बोले डीआईओएस प्रधान
इस सम्बंध में जिला विद्यालय निरीक्षक सोमारू प्रधान ने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अपने आचरण को सही बताया और कहा कि भारतीय संस्कृति में अपनी उम्र से बड़ों का पैर छूकर प्रणाम करने की परंपरा है। उन्होंने उसका पालन किया है। इसमें गलत क्या है? लेकिन सरकारी नियमावली क्या कहती है इसे बताने के बजाय उन्होंने फोन ही डिस्कनेक्ट कर दिया।