तू अपनी भूख लिखना प्यास लिखना, हां मगर कौम का इतिहास लिखना- डा. सरफराज
एम. आरिफ
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। भारत के एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ डा. लोहिया लिख गये है कि जिंदा कौमे पांच साल इंतजार नहीं करतीं, मगर मेरा मानना है कि समझदार कौमे सियासी मौके को नहीं छोड़तीं है। आज मौका है इसलिए शोहरतगढ़ के अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को चाहिए कि वह भागीदारी परिवर्तन मोर्चा को वोट देकर अपने समाज को आगे बढ़ाएं। पहले वोट डाले तब नाश्ता करें।
उपरोक्त बातें शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से भागीदारी परिवर्तन मोर्चा के उम्मीदवार डा. सरफराज अंसारी ने कहीं। वे मतदान की पूर्व संघ्या पर क्षेत्र के मतदाताओं से अपील कर रहे थे। उन्हेंने कहा कि अगर बाबू सिंह कुशवाहा और असदुद्दीन औवैसी के सपनों को पूरा कर कमजोर समाज को हक और इंसाफ दिलाना है तो उन्हें मोर्चा के उम्मीदवर को जिताना चाहिए।
पत्रकार से बातचीत करते हुए डा. सरफराज अंसारी ने कहा कि शोहरतगढ़ की जनता के बीच मैने पूरे पांच साल काम किया है। गांव गांव मेडिकल कैम्प लगा कर कमजोर तबके की खिदमत की है। गरीब के लिए कई काम किये हैं। भागीदारी मोर्चा के नेता बाबू सिंह कुशवाहा जी और ओवैसी साहब भी मुस्लिम और पिछड़ा समाज के संरक्षक हैं। क्योंकि यह कौम ही सबसे ज्यादा सताई हुई हैं।
उन्होंने कहा कि इस सीट पर मुस्लिम 26 फीसदी अर्थात 90 हजार है। अति पिछड़े भी इतनी ही तादाद में हैं। अगर यह दोनों एकजुट हो जाएं तो इन समाजों को भागीदारी के हिसाब से सत्ता में हिससेदारी तय हो जाएगी। यही मोर्चा का लक्ष्य भी है। अंत में डा. सरफराज ने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि यदि उन्होंने वोट डाला तो सीट से पहली बार एक अल्पसंख्यक की जीत का ख्वाब पूरा हो जायेगा। इसलिए मेरी अपील है कि कल मतदान के दिन—-
तू अपनी भूख लिखना प्यास लिखना,
हां मगर कौम का इतिहास लिखना।