नेपालः पहाड़ियों का पहला जवाबी वार, चितवन अंचल में भारतीय चैनलों का प्रसारण रोका

September 28, 2015 2:27 PM0 commentsViews: 298
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ओवैस खान

चितवन में विरोध प्रदर्शन करते युवक को हिरासत में लेती पुलिस

चितवन में विरोध प्रदर्शन करते युवक को हिरासत में लेती पुलिस

मधेसियों की नाकेबंदी आंदोलन के जवाब में नेपाल के पहाड़ी समुदाय ने प्रतिक्रिया शुरू कर दी है। पहला वार उन्होंने भारत की मीडिया पर किया है। जिसके तहत चितवन अंचल में भारत के तमाम चैनलों के प्रसारण रोक दिया गया है। जानकारी के मुताबिक अगर नाकेबंदी जारी रही तो पहाड़ के नेपालियों का हमला और भी भयानक हो सकता है।

रविवार को पहाड़ी मूल के हजारों नेपालियों ने इकटठे होकर चितवन अंचल मुख्यालय पर भारत और भारतीय मीडिया के खिलाफ नारे लगाए। यह हुजूम कम्युनिस्ट पार्टी एमाले की छात्र शाखा के बैनर तले प्रदर्शन कर रहा था।

प्रदर्शनकारियों ने चितवन में यूनिक केबल आपरेटर के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र प्रधान से मुलाकात की। प्रधान ने मौके की नजाकत को समझते हुए संघ के अन्य पदाधिकारियों से बात की। इसके बाद भारतीय समाचार चैनलों का प्रसरण बंद करने की घोषणा की गर्इ।

महेन्द्र प्रधान ने बताया कि जी न्यूज, आजतक, इंडिया न्यूज, इंडिया टीवी, एबीपी न्यूज, सहारा समय और आइबीएन-7 का प्रसारण नहीं होगा। बाकी चैनल चलते रहेंगे। उनके इस फैसले से चितवन नारायन घाट, मुगलिंग, नवलपरासी आदि जनपदों में अब इन चैनलों के समाचार नही सुने जा सकेंगे।

मधेसियों की लगातार नाकेबंदी की वजह से पहाड़ के जिलों में खाने-पीने की वस्तुओं का अभाव हो गया है। यह कदम उसकी पहली जवाबी प्रतिक्रिया माना जा रहा है। नेपाली राजनीति के जानकार राजन श्रेष्ठ का कहना है कि अगर नाकेबंदी यूं ही चलती रही तो पहाड़ के जिलों में हिंसा भड़क सकती है।

बतातें चलें कि मधेसी समुदाय द्धारा संविधान के विरोध में पिछले 52 दिनों से आंदोलन चलाया जा रहा है। पिछले एक सप्ताह से उन्होंने खाद्य पदार्थ मसलन, सब्जी, फल, नमक, डीजल, पेट्रोल आदि सामानों की आपूर्ति पहाड़ पर जाने से रोक दी है, जिसके बाद वहां की हालत बहुत खराब हो गई है।

संविधान में ज्यादा अधिकार पाये पहाड़ी समुदाय के लोग अभी खामोश रह कर हालात का जायजा ले रहे हैं। लेकिन जानकार कहते हैं कि यह स्थिति बहुत दिनों तक चलने वाली नहीं है। आशंका हैकि अगला वार पहाडी जिलों में रहने वाले मधेसियों पर भी हो सकता है।

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