भूकंप आयाः  36 सेकेंड का वह कयामत का क्षण जब डर कर कांपने लगी 31 लाख आबादी

November 4, 2023 12:40 PM1 commentViews: 294
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भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक जोन में शुमार जिला, भवनों को भूकंपरोधी नक्शा हो अनिवार्य, वरना किसी भी दिन बड़ी तबाही होगी

 

नजीर मलिक

भूकंप के समय भाग कर सड़कों पर आते शहरवासी

सिद्धार्थनगर। बीती रात जिले में भूकंप के झटके से पूरा जिला कांप गया। 36 सेकेंड के इस झटके ने 31 लाख की आबादी को भय से बुरी तरह हिला दिया। देखते ही देखते अर्बन क्षेत्र की पूरी आबादी घरों से निकल कर सड़क पर आ गई। देहाती क्षेत्र में जरूर हलचल कम दिखी। क्योंकि गांवों में अक्सर लोग जल्दी सो जाते हैं जबकि भूकंप का झटका रात 11बज कर 32 मिनट पर महसूस किया गया। याद रहे कि सिद्धार्थनगर भूकंप के नजरिये से जोन चार में चिन्हित है। जो दूसरा सबसे खतरनाक जोन बताया गया है।

इस तरह आया वह खतरनाक क्षण

बताया जाता है कि जिला मुख्यालय सहित जिले के सभी कस्बों में लोग खा पी कर सोने की तैयारी कर ही रहे थे। उस समय 11.32 बजे थे। अचानक घरों के दरवाजे, पंखे, अलमीरे यहां तककि कतिपय मकान आदि तक तेज गति से हिलने लगे। अचानक लोगों को महसूस हुआ कि यह भूकंप का झाटका है। लोग जल्दी से घरों से निकल कर खुले में भागने लगे। रात के लगभग 11.45 बजे तक लगभग तीन चौथाई शहरवासी सड़क पर आ चुके थे। इधर लोग सीमा पार अपने नेपालीरिश्ते दारों से फोन पर बात करने लगे। तब पता चला कि भूकंप का केन्द्र नेपाल का जाजरकोट क्षेत्र है। रात ही यह भी पता चल गयाकि इस भूकंप की रिक्टर तीब्रता 6.4 है। यह तीव्रता घातक तो थी मगर सौभाग्य यह रहा कि सिद्धार्थनगर भूकंप केन्द्र से लगभग 4 सौ किमी दूर था। वर्ना नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र जाजरकोट की तरह यहां भी विध्वंस तय था। जानकार बताते है कि भूकंप का प्रभाव मात्र 36 सेकेंड ही रहा, यदि यह 40 सेकेंड और बना रहता तो विनाश तय था।

सिद्धार्थनगर सबसे खतरनाक जोन में

बता दें कि भूकंप के लिहाज से नेपाल को जोन 5 तथा उसे सटे प्रदेश के महाराजगंज, बलरामपुर,बहराइच आदि सभी तराई जिलों को जोन 4 में रखा गया है। जिसमें सिद्धार्थनगर भी शामिल है। यानी नेपाल के बाद यह खतरे के रूप में सबसे खतरनाक जोन में है। इसके लिए जिला आपदा प्रबंधन कमेटी में  भूकंप के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाये जाते हैं।जिसके तहत नये मकानों को भूकंपरोधी बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। मगर जिले में बनने वाले नये मकानों में से एक प्रतिशत भवनों में भूकंपरोधी तकनीक का प्रयोग नहीं किया गया है।

भवनों के भूकंपरोधी नक्शे पास हों

इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता व आपदा प्रबंधन समति के पूर्व सदस्य कैलाश दुबे का कहना है कि जोन 4 में होने के बावजूद सिद्धार्थनगर वासी भूकंप रोधी मकानों के प्रति जागरू नही हैं। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि भूकंपरोधी तकनीक विहीन भवनों के नक्शे पास करने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। वरना जब तबाही आयेगी तो बचाव का एक मात्र साधन न होने से जानमाल विनाश बड़े पैमाने पर होगा।

 

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