सिद्धार्थनगरः सियासी धुंध छंटी, बुद्ध की धरती पर युद्ध के बादल, यलगार और मुकाबले का शोर
नजीर मलिक
यूपी कि सिद्धार्थनगर में सोमवार को मतदान हो रहा है। यहां कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। सबसे कठिन लड़ाईयहां यूपी असेंम्बली के स्पीकर माता प्रसाद लड़ रहे हैं। बांसी में ६ बार विधायक रहे भाजपा के जय प्रताप सिंह सहित सदर के सपा विधायक विजय पासवान को भी कड़ी चुनौती मिल रही है। शोहरतगढ़ में स्थिति बेहद रोचक है, तो डुमरियागंज में बड़ा सियासी उलटफेर देखा जा रहा है। आइये देखते हैं कपिलवस्तु पोस्ट की ग्राउंड रिपोर्ट।
इटवा में चमत्कार की आस
उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में इटवा की भी गिनती होती है। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे पिछले तीन चुनाव लगातार जीत चुके हैं, मगर इस बार भाजपा के सतीश द्धिवेदी और बसपा के अरशद खुरशीद उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चुनावी नतीजे जो भी हों, मगर इस बार यहां स्पीकर साहब कुछ कमजोर देखे जा रहे हैं।
इटवा में उनके प्रतिद्धंदी पूर्व सांसद मो. मुकीम भी कांग्रेसी होने की वजह से सपा–कांग्रेस गठबंधन के साथ हैं। उनका मुसलमानों में बहुत असर है। फिर भी मुसलमान उनसे छिटका हुआ दिख रहा है। दूसरी तरफ भाजपा के सतीश द्धिवेदी ने अपने वाक चातुर्य और शालीन आचरण से जनता में अपनी साख बढ़ाई है। वह ब्राहमण मतदाताओं में सेंधमारी में सफल दिख रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि लोग भाजपा और बसपा में लड़ाई कि संभावनाएं तलाश रहे हैं। मगर माता प्रसाद राजनीति के घुटे खिलाड़ी हैं। वह आखिरी वक्त में अपनी मात को शह में बदलते देखे गये हैं। फिलहाल लड़ाई को त्रिकोण मान सकते हैं।
डुमरियागंज में भाजपा बढ़ी है
डुमरियागंज में बसपा उम्मीदवार सैयदा मलिक साफ–साफ एक पक्ष बन कर खड़ी हैं। सपा के चिनकू यादव, भाजपा राघवेन्द्र सिंह व पीस पार्टी के अशोक सिंह उन्हें कड़ी टक्कर देने का दावा कर रहे हैं। ३७ फीसदी मुस्लिम मतदाता वाले डुमरियागंज में बसपा की मुस्लिम उम्मीदवार, जिसके पास १७ फीसदी दलित वोट भी हो, उसे हराने के लिए सीधी लड़ाई जरूरी है, मगर यहां सैयदा के खिलाफ तीन तगड़े उम्मीदवार हैं।
पहले सैयदा की लड़ाई सपा के चिनकू यादव से मानी जा रही थी। इस बीच भाजपा के राघवेन्द्र सिंह ने इधर काफी रेज किया है। फिलहाल सैयदा से मुकाबले के लिए चिनकू और राघवेन्द्र में किसी एक के डाउन हुए बिना सैयद को हराना कठिन दिखता है। वैसे अगर पीस पार्टी के अशोक सिंह ने पूर्व में पीस उम्मीदवार सच्चिदा पांडे के रिकार्ड दोहराया तो सपा के चिनकू या भाजपा के राघवेन्द्र की लाटरी खुल सकती है। वरना सैयदा की जीत फाइनल है।
बांसी में लड़ाई राजा और रंक के बीच
जिला बनने के बाद के सात चुनावों में ६ जीतने वाले बांसी राज परिवार के सदस्य राजकुमार जयप्रताप सिंह काफी मुश्किलों में घिरे हैं। राजा के मुकाबले उन्हें सपा के लालजी यादव व बसपा के लालचंद निषाद से कड़ी टक्कर मिल रही है। पिछले तीन चुनावों में उन्हें लालजी कड़ी टक्कर देते रहे हैं। इनमें दो जय में जय प्रताप जीते तो २००७ में लालजी यादव को कामयाबी मिली। गौरतलब है कि इन तीनों चुनावों में कड़ी टक्कर मिली और जीत हार का अंतर दो हजार के आसपास रहा।
इस बार हालात बदले हैं। निषाद बाहुल्य इस सीट पर निषादों का अधिकांश वोट राजकुमार को मिलता रहा है, लेकिन इस बार बसपा ने एमएलसी लालचंद को टिकट देकर जयप्रताप की घेरेबंदी की है। लालचंद को निषादों के वोट खासी तादाद में मिल रहे हैं। यह जय प्रताप के लिए खतरे की घंटी है। उन्हें जीते के लिए नया वोट बैंक बनाना होगा, इसमें वो कितने सफल होंगे, यह मतगणना के दिन ही स्पष्ट हो सकेगा।
शोहरतगढ़ः हारजीत का पता नहीं
विधानसभा सीट पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां बहुकोणीय लड़ाई है। मौजूदा विधायक के पुत्र उग्रसेन सिंह सपा के उम्मीदवार हैं। उनको नगर पालिका चेयरमैन और बसपा उम्मीदवार जमील सिंद्दीकी कड़ी चुनौती दे रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार अमर सिंह, रालोद उम्मीदवार और तान बार विधायक रहे पप्पू चौधरी, कांग्रेस के पूर्व विधायक अनिल सिंह व औवैसी की पार्टी के बड़े नेता अली अहमद सिद्दीकी कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
यहां हालात उलझे हैं। भाजपा के बागी और निर्दल उम्मीदवार डा. आशीष प्रताप अगर यहां अच्छा वोट निकालते हैं तो भाजपा गठबंधन के रालोद उम्मीदवार अमर सिंह चौधरी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पप्पू चौधरी की कुर्मी वोटों पर पकड़ है, लिहाजा भाजपा गठबंधन के अमर चौधरी यहं खतरे में हैं। यहां लड़ाई सपा व बसपा के बीच आंकी जा रही है। वैसे कल शोहरतगढ़ टाउन का मतदान रुझान जीम का ताना बाना तय कर देगा। इस टाउन का वोट उसी को मिलता है, जो मुस्लिम उम्मीदवार को हरा सके।
सदर सीट पर आर पार की जंग
जिले की सदर यानी कपिलवस्तु विधानसभा सीट पर लड़ाई क्लीयर है। यहां सीधी लड़ाई सपा विधायक विजय पासवान और भाजपा के श्यामधनी राही के बीच है। राही हिंदू युवा वाहिनी के नेता और योगी आदित्यनाथ के करीबी हैं। इस कारण इस सीट में २६ फीसदी मुसलमान यहां बसपा के कमजोर होने के कारण सपा के विजय पासवान के पक्ष में खड़ा है। इसके अलावा १३ फीसदी यादव व ६ फीसदी पासवान भी विजय पासवान के साथ देखे जा रहे हैं।
बता दें कि १७ फीसदी अनुसूचित बसपा के साथ हैं। जाहिर है कि अनुसूचित जाति से बचे वोटों में भाजपा और सपा का हिस्सा बराबर दिखता है। इसलिए लड़ाई कठिन है, मगर हमारे सवांददाता ने एक फीसदी वोट के अंतर से सपा को बढत दिया है। यहां लड़ाई बेहद कठिन है, कोई भी जीत सकता है। बाकी परिणम तो कल जनता तय करेगी।