नलकूप और नहरें बेपानी, सूख गये किसानों के खेत
संजीव श्रीवास्तव
“सिद्धार्थनगर के किसानों के खेत सूखे हैं। नलकूप बेपानी हैं, नहरें बंद हैं, किसान खून के आंसू रो रहा है, मगर प्रशासन को इसकी फिक्र ही नहीं है। जिले में तकरीबन चार लाख किसान हैं”
उन्होंने इस बार दो लाख हेक्टेयर में धान की खेती की है। धान की फसल के काटने का समय आ रहा है, मगर पानी की कमी के कारण उनमें में बालियां नहीं आ पायी हैं। इस वक्त उसे पानी की सख्त जरूरत है। किसान बताते हैं कि पानी के अभाव में फसलें तकरीबन 50 फीसदी बरबाद हो चुकी हैं। जहां तक प्रशासन का सवाल है, वह चुनावों में व्यस्त है।
जिले की जमींदारी नहर और बानगंगा नहर परियोजनाओं की नहरें पूरी तरह सूखी हुई है। राप्ती परियोजना की कुछ ही नहरों में पानी है। नलकूपों की हालत और खराब है। इंडो डच परियोजना के सारे नलकूप खराब पड़े है। सामान्य नलकूपों में भी 60 फीसदी खराब हैं। जो ठीक है उनका इस्तेमालभी बिजली के बिना होना मुमकिन नहीं है।
बड़े किसान तो निजी नलकूपों से खेतों की सिंचाई कर ले रहे हैं, लेकिन छोटी जोत का किसान हलकान है। वर्तमान में प्रशासन का सारा ध्यान चुनावों पर है। वह इससे हट कर सोच ही नहीं पा रहा है। जिलाधिकारी डा. सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि संबंधित विभाग को नहर के टेल तक पानी पहंुचाने का निर्देश दिया जा चुका है। वैसे सिद्धार्थनगर सूखे की चपेट में आ चुका है। प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दिया है।