माफ करना साहब! ये चंबल के बागी नहीं, जेल की हिफाजत में लगे सिपाही हैं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। फोटो को गौर से देखिए जनाब। यह चंबल के बागी गिरोह के कोई सदस्य नहीं, बल्कि सिद्धार्थनगर जेल की रक्षा में तैनात जिम्मेदार एक सिपाही जी हैं। हालांकि जेल मैनुअल के खिलाफ इन्होंने जो हुलिया बना लिया है, उससे किसी को पहली नजर में थोड़ा भ्रम जरूर पैदा हो सकता है।
इन सिपाही जी का इस अजीबो गरीब कपड़े और हुलिये में ड्यिूटी के दौरान पूरी दिलेरी से फोटो खिंचवाना चर्चा का विषय बना हुआ है। गत दिवस यह वर्दी के बजाये चंबली निकर पहन कर सिद्धार्थनगर जिला जेल पर बड़े रोब से डयूटी करते मिले। लोगों के टोकने पर भी उन्होंने कोई नोटिस नहीं लिया। बस चंबल की माटी वाली मुस्कराहट बिखेरते रहे।
जेल आने जाने वाले लोग इन्हें हैरत से देखते और इनकी नियम खिलाफ ड्रेस पर चर्चा कर आगे बढ़ जाते। सिपाही जी ने बड़े मजे से यह फोटो खिंचवाया। हैरत है कि जेल के आला अफसर यानी जेलर साहब उसी गेट से अंदर गये होंगे, लेकिन वह इनका चंबली अंदाज क्यों नहीं देख पाये?
45 साल के सिपाही जी का नाम अंगद निषाद बताया जाता है। जेल के ड्रेस कोड बताते हैं कि इन्हें ड्यूटी के वक्त सिपाही वाली वर्दी पहनना अनिवार्य है। खाकी पैंट और शर्ट शरीर पर हो और उसमें बटन भी सलीके से बंद होनी चाहिए। पूलिस बूट और पुलिस बेल्ट भी होनी चाहिए।
लेकिन यहां सिपाही जी पूरी तरह से लोफर कट अंदाज में बटन खोले और लांग निक्कर में अपनी डयूटी निभाते दिख रहे हैं। यहां तक कि उनके पैर में सैंडिल है जबकि उन्हें नियमानुसार ड्यूटी के समय पुलिस बूट में होना चाहिए था।
यही नहीं सिपाही जी की कमर पर बेल्ट भी बंधी होनी चाहिए थी, लेकिन बेल्ट के स्थान पर शर्ट के उूपर बंधी इनकी करतूसों की पेटी तो चंबल के माहौल की ही याद दिलाती है। पर ऐसे जिम्मेदार सिपाही को देख कर जेल जाने वाले अपराधी किस तरह की प्रेरणा लेते होंगे, इससमझ पाना बहुत मुश्किल नहीं है।
जेलर ने कहा सबूत मिले तो कार्रवाई करेंगे
इस बारे में सिद्धार्थनगर के जेलर बी.के. गौतम का कहना है कि सिपाही को पूरी वर्दी में ही डयूटी करनी चाहिए। जब उनसे सिपाही की इस फोटो का जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि किसी के कहने से नहीं माना जायेगा। सबूत चाहिए। पहले मीडिया उसे प्रकाशित करे तब कार्रवाई होगी। अब देखना है जेलर आगे क्या कार्रवाई करते हैं।