भाजपा की शिकस्त के लिए अखिलेश–माया जल्द कर सकते हैं साझा सियासत
एस. दीक्षित
लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने की तैयारी विपक्ष ने अभी से शुरु कर दी है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में विपक्ष एकजुट होता नज़र आ रहा है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक मंच शेयर कर सकते हैं।
दरअसल, हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक भोज का आयोजन किया था, जिसमें आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के आग्रह पर अखिलेश यादव और मायावती भी शामिल हुए थे। इसी दौरान दोनों के बीच इस बारे में बात हुई।
सपा के सांसद नरेश अग्रवाल ने पुष्टि करते हुए कहा कि इस समारोह में संयुक्त रैलियां करने का प्रस्ताव सामने आया था और सभी बीजेपी विरोधी पार्टियों ने इसका समर्थन किया। उन्होंने टीओआई से कहा कि वक्त की मांग है कि पूरा विपक्ष संयुक्त रूप से बीजेपी के खिलाफ खड़ा हो।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनावों के बाद लालू प्रसाद यादव पटना में 27 अगस्त को एक विशाल रैली का आयोजन करेंगे। वहीं सूत्रों के हवाले से पता चला है कि मायावती ने भी इसका समर्थन किया है। सूत्रों के मुताबिक, मायावती ने कहा, “मैं 100 प्रतिशत आपके साथ हूं।” वैसे भी मुलायम सिंह के सियासी परिदृष्य से हटने के बाद अब मायावती के पास एक साझा मंच का बहाना भी है।
माना जा रहा कि मायावती और अखिलेश की संयुक्त रैली 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी विरोधी फ्रंट को एक रूप दे सकती है। ग़ौरतलब है कि लालू और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी मायावती और अखिलेश यादव से 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान साथ आने की अपील की है।
बता दें कि साल 1993 के बाद कभी बसपा और सपा साथ नहीं आईं। इससे पहले उन्होंने साथ में विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें जीत भी मिली थी। लेकिन 1995 में मायावती पर कुछ गुंडों ने हमला कर दिया, जिसके लिए मायावती ने उस वक्त के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को ज़िम्मेदार ठहराया और दोनों का गठबंधन टूट गया।