स्टिंग की ज़द में सपा का छुटभैया नेता, कहा कि ‘पांच हज़ार दरोगा जी को देंगे, बाकी आपस में बांट लेंगे’

August 20, 2015 3:56 PM0 commentsViews: 1401
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नज़ीर मलिक

‘सत्ताधारी दल से जुड़े नेता भ्रष्टाचार या घोटालों के स्टिंग में अक्सर पकड़े जाते हैं। मगर ऐसे नेताओं का पैर छूने वाले छुटभैय्ये नेता भी कम नहीं होते। बस मौक़ा मिलने की देरी होती है कि छुटभैय्ये नेता पुलिस से लेकर प्रशासन तक में रिश्वत की लेनदेन और दलाली में जुट जाते हैं। कपिलवस्तु पोस्ट ऐसे ही एक नेता की ऑडियो क्लिप जारी कर रहा है। इस क्लिप में छुटभैया नेता दावा करता है कि सिद्धार्थनगर पुलिस के एक एसओ तक पांच हज़ार रुपए बतौर रिश्वत पहुंचाना है। साथ ही वह यह भी बताता है कि रिश्वत का एक हिस्सा समाजवादी पार्टी के नौगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष के बेटे को भी देना है। ऑडियो क्लिप देने वाले का दावा है कि छुटभैया नेता वजहुल कमर कपिलवस्तु विधानसभा में सेक्टर प्रभारी हैं और वह जिस अध्यक्ष का ज़िक्र कर रहा है, नौगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष जोखन चौधरी हैं।’

ऑडियो क्लिप की पृष्ठभूमि

विशंभर गौड़ बर्डपुर से भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक अध्यक्ष हैं। इनका बेटा अनिल गौड़ भोजपुरी कलाकार है। इसी साल नेपाल के कपिलवस्तु ज़िला के सुरेश पासवान और अनिल गौड़ के बीच एक भोजपुरी फिल्म बनाने को लेकर समझौता हुआ था। इस फिल्म का निर्माण सुरेश पासवान को करना था जबकि अनिल गौड़ अभिनय करने वाले थे। मगर अचानक दोनों के बीच विवाद हो गया और फिल्म का निर्माण रुक गया। अभिनेता अनिल निर्माता सुरेश पासवान से अपने मेहनताने की मांग करने लगा। वहीं सुरेश ने आरोप लगाया कि अभिनेता अनिल की वजह से फिल्म निर्माण में छह लाख रुपए ख़र्च हो चुका है और वह मेहनताना देने की स्थिति में नहीं है।

अपनी शिकायत लेकर सुरेश पासवान ने मोहाना पुलिस स्टेशन में 29 जुलाई को शिकायत भी दर्ज करा दी। एक तरफ सुरेश अनिल के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सक्रिय हो गया तो दूसरी तरफ अनिल और उनके पिता विशंभर गौड़ मामले को रफा-दफा करवाने में जुट गए। विशंभर गौड़ अपने एक मित्र राशिद (बदला हुआ नाम) के ज़रिए मदद मांगने सपा के लोकल नेता वजहुल कमर के पास पहुंचते हैं और यहीं से स्थानीय स्तर पर सपा नेता द्वारा की जा रही दलाली की परतें उधड़नी शुरू हो जाती हैं।

sulah nama 1दोनों पार्टियों के बीच हुआ सुलहनामा जिसपर सतीश चौधरी के भी दस्तख़त हैं।

राशिद और वजहुल कमर के बीच हुई कथित बातचीत का संपादित हिस्सा

वजहुल कमर: दरोगाजी से बात हो गई है। दरोगाजी रात में गए थे। अध्यक्ष जी के घर पर ही गए थे। सब बात हो चुकी है। मैं इसी की पैरवी में हूं। जो नेपाली आदमी है, उसने कहा है कि मैं विधायक जी का रिश्तेदार हूं। तो मैंने कहा कि हम विधायकजी को फोन पर बात करके समझा लेंगे।

राशिद: तो किया क्या जाए, कोई रास्ता निकालो? कुछ बोलो। भाई तुम होशियार हो, बड़े हो, ज़्यादा दिन से राजनीति कर रहे हो।

वजहुल: मेरे कहने का मतलब है कि मैं इनकी पैरवी में उसी दिन लगा था। अभी जब जाओगे ना दरोगाजी के पास, तो अभी दरोगाजी बताएंगे।

राशिद: कुछ माल-पानी की बात किए थे।

वजहुल: माल पानी के लिए हमसे कहे थे।

राशिद: कितना?

वजहुल: वो (अनिल) अपने मुंह से बोला था कि हम 25-30 हज़ार रुपए खर्च करने के लिए तैयार हैं।

राशिद: कौन, अनिल?

वजहुल: हां, हमारी बात का यकीन नहीं है ना तो अध्यक्ष जी के लड़के सतीश बाऊ हैं ना, उनसे पूछ लीजिए।

(राशिद का दावाहै कि यहां पर जिस अध्यक्ष जी का ज़िक्र आ रहा है, वह सपा के नौगढ़ विधानसभा अध्यक्ष जोखन चौधरी हैं और इनका बेटा सतीश चौधरी उस वक्त वजहुल के साथ था।

राशिद: 25-30 हज़ार कहां खर्च होगा, आखिर किसको देंगे?

वजहुल: पांच हज़ार दरोगा जी को दे देंगे, बाकी जो बचेगा वन थर्ड कर लेंगे। सतीश को हम इसीलिए लेकर आए हैं कि वो दरोगा जी से बात कर लेंगे। पांच हज़ार दरोगा जी को दे देंगे, बाकी का वन थर्ड कर लेंगे। सतीश को दे दो, अपना ले लो और हमको दे दो।

राशिद: मतलब कि कितना लोगे, कुछ पता होना चाहिए ना?

वजहुल: 30-35 वो अपने मुंह से बोला था।

राशिद: अब देखो भाई बात करो। तुम आगे होकर करो। क्या दरोगाजी पांच हज़ार पर मान जाएंगे?

वजहुल: वो हम दिलवा देंगे। वो तो ज़्यादा कह रहे थे। मैं सतीश को क्यों लाया हूं कि वो पांच में ही खुश हो जाएंगे।

राशिद: तो पांच हज़ार में दरोगाजी मान जाएंगे और बाकी जो बचेगा?

वजहुल: बाकी जो बचेगा वो बांट लिया जाएगा।

राशिद: वन थर्ड?

वजहुल: और क्या

राशिद: ठीक है तो फिर देखो, बात करो।

वजहुल: अभी नहीं, अभी थोड़ा गर्म होने दो मामला। नहीं तो बोलो मामला और उलझवा दें।

राशिद: नहीं, उलझाने का क्या मतलब है। उलझेगा तो और बढ़ेगा, फिर और खिचड़ी होगा, फिर वन थर्ड की जगह वन फोर्थ, वन फाइव हो जाएगा।

वजहुल: हाहा, यही कोशिश कर रहे हैं। यही है कि नेतागीरी करो तो ढंग से करो।

इस ऑडियो में साफ सुना जा सकता है कि नेताजी रुपयों के लेनदेन पर खुलकर बात कर रहे हैं। वो यहां तक कह रहे हैं कि अगर रुपया मिलने में कोई दिक्कत हो तो मामले को और उलझा देते हैं।

ख़ैर, छुटभैय्ये नेता की दलाली की कहानी का अंत यह है कि दोनों पार्टियों ने मोहाना पुलिस स्टेशन में जाकर समझौता कर लिया। इस पर चार गवाहों के दस्तख़त हैं जिनमें से एक सतीश चौधरी भी हैं। विशंभर गौड़ का दावा है कि यह सुलह करवाने के लिए उनके बेटे ने रकम चुकाई है।

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