सनी यादव, सीपी चंद व महफूज को टिकट‚ तो डिम्पल‚ सलिल को मंत्री बना कर सपा ने साधा जातीय संतुलन
अजीत सिंह।
सिद्धार्थनगर। एमएलसी चुनाव के दौरान गोरखपुर, बस्ती और गोंडा मंडल में चली सियासी उठापटक के बाद समाजवादी पार्टी ने असंतुष्टों को भी सत्ता की मलाई दे कर जातीय संतुलन साधने की कोशिश की है। मगर इस उठापटक के बाद सपाइयों के दिलों में बनी दरार मिटेगी या बढ़ेगी, इसका पता चुनावों के बाद ही चलेगा।
बस्ती मंडल की एमएससी सीट के लिए मंत्री बृजकिशोर के भाई डिपल सिंह का टिकट कटने और गोंडा मंडल में भी सलिल सिंह को टिकट देकर पुनः महफूजुर्रहमान को वापस ले आने से राजपूत लाबी में बेहद आक्रोश था।
राजपूत लाबी के गुस्से की खबर पर सपा हाई कमान सतर्क हुआ। आनन फानन में डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनी। सपा आलाकमान ने बस्ती मंडल सीट से टिकट गंवाने वाले डिंपल सिंह को उर्जा राज्य राज्यमंत्री ही नहीं बनाया, बल्कि उनके बउे भाई और काबीना मंत्री राज किशोर सिंह के मंत्रालय में पंचायत राज विभाग जोड़ कर उनका कद और बढ़ा दिया।
दूसरी तरफ गोंडा में महफूजुर्रहमान का टिकट काट कर सलिल सिंह को उम्मदवार बनाया गया, लेकिन अंतिम समय में सलिल को हटा कर महफूज को पुनः एमएलसी उम्मीदवार बना दिया गया। इससे ठाकुर लाबी में और प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद सलिल सिहं को मंत्री सत का सलाहकार पद देकर गुससे को शांत करने का प्रयास किया गया।
इसी प्रकार गोरखपुर से पूर्व मंत्री जय प्रकाश यादव का टिकट काटकर सी.पी.चन्द्र को उम्मीदवार बनाया गया। हाईकमान के इस निर्णय से यादव खेमा नाखुश हुआ तो उन्हें भी अच्छा पद देने का वायदा कर दिया गया। टिकट बदलने से विपक्ष बोलने की तैयारी कर रहा था, मगर सपा हाईकमान ने अपनी पैतरेबाजी से विपक्ष को जवाब दिया ही जातीय संतुलन भी बना लिया।
समाजवादी पार्टी ने एमएलसी टिकट न मिलने वालों को पद से उपकृत कर उनका गुस्सा शांत करा दिया है। सपा का मानना है कि इससे पार्टी का जतीय संतुलन सुधर गया। लेकिन टिकट पाने के लिए मची पतिष्ठा की जंग के चलते विभिन्न गुटों के दिलों के बीच जो दीवार खिंची है, वह मिटेगी या कायम रहेगी, इसे चुनावों के दौरान गुटों की गतिविधियों को देखने के बाद ही जाना जा सकेगा।