exclusive- शुगर रोगः कोल्ड ड्रिंक बेहद खतरनाक, इसमें चाय के मुकाबले पांच गुनी शक्कर होती है

November 27, 2016 3:22 PM0 commentsViews: 349
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                          जर्मनी के चिकित्सक डा ए.एच ख़ान से विशेष बातचीत

—शुगर रोग से निपटने के लिए मेहनत करना दवा से भी ज्यादा फायदेमंद- डा. ए.एच. ख़ान

नजीर मलिक

dr-khan
सिद्धार्थनगर। शुगर यानी डाइबेटिक का रोग दुनिया में बढ़ता जा रहा है। टाइप-2 का शुगर रोग जेनेटिक है, जाहिर है कि आने वाले दिनों में इसके मरीजों में और इजाफा होगा। लोग आम तौर से शुगर रोग की जानकारी होते ही घबरा जाते हैं। लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं, बस थोड़ी से सावधानी की जरूरत है।

यह बातें जर्मनी के मशहूर चिकित्सक डा. ए.एच. ख़ान ने कपिलवस्तु पोस्ट से एक विशेष मुलाकात में कहा। डा. ख़ान जर्मनी के कोलोन में चिकित्सक हैं और सिद्धार्थनगर के मूल निवासी हैं। वह इस वक्त अपने घर आये हुए हैं।

टाइप-2 शुगर रोग जेनेटिक होता है

डा. ख़ान ने बताया कि शुगर रोग दो टाइप का होता है। जिसमें टाइप-2 तो जेनेटिक है लेकिन टाइप-1 के बारे में अभी तक शोध चल रहा है और अभी तक इसके बारे में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आयी है।

उन्होंने बताया कि जेनेटिक होने के कारण किसी शुगर वाले परिवार के बेटा-बेटी की शादी किसी दूसरे परिवार में होती है, तो उस परिवार में भी शुगर का रोग फैल जाता है। इसलिए यह रोग दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है।

घबराने की जरूरत नहीं

इस बीमारी का खात्मा सम्भव नहीं, लेकिन सावधानी बरत कर इस पर कन्ट्रोल किया जा सकता है। शुगर की दवा बाजार में उपलब्ध है। लेकिन खाने में स्टार्ज से बचना व मेहनत करना, खासकर शहरी क्षेत्रों में मार्निंग वाक करके इसे कन्ट्रोल किया जा सकता है। आम तौर से देखा गया है कि जो मेहनत करते हैं, वह शुगर के रोगी होते हुए भी स्वस्थ्य होते हैं।

कोल्ड ड्रिंक से करे परहेज

डा. ए.एच. खान के मुताबिक शुगर के मरीज आम तौर से चीनी की चाय से परहेज करते हैं। लेकिन कोल्ड ड्रिंक उससे कहीं अभी नुकसान देह है। उन्होंने बताया कि एक कप चाय में केवल एक चम्मच चीनी की मात्रा होती है, जबकि कोल्ड ड्रिंक की एक छोटी बाटल में 5 चम्मच चीनी होती है। आम तौर से लोग एक बार में एक छोटी बाटल का प्रयोग कर लेते हैं। जिससे नुकसान 5 कप चाय के बराबर हो जाता है।

क्या करें शुगर पेशेंट

शुगर की मरीज को चाहिए कि वह मेहनत करे, अगर तेज रफ्तार जिन्दगी में यह मुमकिन न हो सुबह या शाम पैदल जरूर चलें। उन्होंने कहा कि सर्वे बताते हैं कि मेहनतकश वर्ग में जेनेटिक कारणों से शुगर होने के बावजूद नहीं उभरता है। इसकी वजह सिर्फ उनकी मेहनत है।

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