विश्वघस्र पक्ष योग होने से 13 दिन का ही होगा आषाढ़ कृष्ण पक्ष पखवारा- आचार्य शिशिर मिश्रा

June 22, 2024 10:21 PM0 commentsViews: 256
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अजीत सिंह 

सिद्धार्थनगर। आषाढ़ माह का कृष्ण पक्ष 23 जून 2024 से 05 जुलाई 2024 तक हो रहा है। द्वितीय व चतुर्दशी तिथि का छय होने से तेरह दिन का पक्ष हो रहा है। ज्योतिनिर्बन्ध आदि ग्रन्थों मे इसे विश्वघस्र पक्ष कहा गया है इसे रौरव काल योग भी कहा जाता है। यह त्रयोदश दिन का समय प्राकृतिक दृष्टि से, राजनैतिक दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से, राजाओं की परस्पर कलह की दृष्टि से, छत्र भंगादि दृष्टियों से अनिष्ट कारक और अशुभ फल कारक होता है।

उक्त बातें शोध क्षात्र आचार्य शिशिर मिश्रा ने कही। उन्होंने बताया कि  पक्षस्यमध्येद्वितिपतेतादाभवेद्रौरवकालयोग:। पक्षे विनष्टे सकलं विनिष्ट मित्याहुराचार्य वरा समस्ता। सामान्य रूप से प्रतिवर्ष शुक्ल तथा कृष्ण पक्ष में एक तिथि क्षय होने से 14 दिन का पक्ष होता है एवं एक तिथि वृद्धि से 16 दिन का पक्ष होता है, परन्तु यदि एक पक्ष में दो तिथियों का क्षय हो जाता है तो वह त्रयोदश दिनात्मक पक्ष कहा जाता है। इस पक्ष को ‘विश्वघस्र पक्ष’ भी कहा जाता है। ‘घस्रस्तु दिवसे हिंसे’ यह हिंसा बहुल होकर विविध प्रकार की विषम परिस्थितियों व अघटित घटनाओं को जन्म देगा।

इस पक्ष के अशुभ को प्रतिपादित करते हुए शास्त्रों में कहा गया है कि –
अनेक युग साहस्रयादि देवयोगात् प्रजायते। त्रयोदशदिने पक्षः तदा संहरते जगत् ॥

कई युगों में प्रजा का नाश कर देने वाला त्रयोदश (तेरह) दिन का पक्ष आता है। उसमें रोग-शोक-भय- कलह-युद्ध और हिंसा आदि अशुभ फल घटित होते हैं। जीने की इच्छा रखने वाले इस त्रयोदश (तेरह) दिन के पक्ष में विवाहादि शुभ कृत्य, गृह निर्माण, लम्बी यात्रादि कार्य न करने के लिए शास्त्र निर्देश है।

त्रयोदश (तेरह) दिन के पक्ष की अशुभता के विषय में ऐसा भी प्राप्त होता है कि – यदा च जायते पक्षस्त्रयोदश दिनात्मकः। भवेल्लोक क्षयो घोरो मुण्डमाला महीतले ॥

इस त्रयोदश (तेरह) दिन के पक्ष में नगर भंग और छत्र भंग की ओर भी संकेत किया है। 13दिन का पक्ष होने के कारण देश समाज व विश्व के सम्मुख अनेक प्रकार की विपरीत परिस्थितियां पैदा हो सकती है सूर्य आद्रा नक्षत्र मे चल रहा है 28जून के आस पास तेज हवा के साथ अच्छी वृष्टि हो जाने की संभावना है।13 दिन का पक्ष होने के कारण या तो बहुत वर्षा होगी या सूखा पड़ जाएगा।

महाभारत के समय भी त्रयोदश (तेरह) दिन पक्ष की अशुभता देखी गई थी। यदि इस पखवारे में बादल-वर्षा व विद्युत गर्जना नहीं होती है तो वर्षा का भाव बना रहेगा। इस विश्वघस्र व रौरव काल योग से बचने के लिए हनुमान चालीसा, शिव सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

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