इस व्यवस्था में हजारों मोहनलाल तिल-तिल मर रहे साहब
नजीर मलिक
“सिद्धार्थनगर के सदर ब्लाक के मोहनलाल मेहनत मजदूरी कर अपना और परिवार का पेट तो किसी तरह पाल लेते हैं। मगर एक अदद छत का सपना उन्हें तिल-तिल मरने पर विवश कर रहा है। गरीबों को आशियाना देने का दावा करने वाली सरकार में आवासों की मलाई अमीर काट रहे हैं और गरीब आदमी प्रशासन का मुंह ताकने को मजबूर है”
नौगढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत कपिया बुकनिहां ग्राम पंचायत के गांव रेक्सा निवासी 55 वर्षीय मोहन लाल की कहानी राजनीतिज्ञों और सरकारों की संवेदनहीनता की गवाह है। माहन लाल के परिवार में कुल नौ लोग हैं। परिवार के पास मात्र दो विस्वा जमीन है, वो भी जलजमाव का शिकार रहती है। उसका मकान खंडहर है। उसमें नौ लोगों का परिवार कैसे रहता है यह सोचने की बात है।
मोहन लाल ने अपने ग्राम प्रधान, ब्लाक के सेक्रेटरी के कई चक्कर लगाये। वह कहते हैं कि उनकी गरीबी पर किसी को तरस नहीं आया। ब्लाक पर गया तो वहां भी कोई मदद करने वाला न मिला। उनके मुताबिक रोटी के जुगाड़ में ही सब कुछ स्वाहा हो जाता है। ऐसे में घर बना पाना संभव नहीं है।
सच तो यह है कि जिले में ऐसे गरीब मोहनलालों की तादाद हजारों में है। लोहिया और कांसीराम आवास के कई हजार मकान अमीरों के खाते में चले गये। शहर के कांसीराम आवास में अमीरों के नाम एलाट मकान किराये पर उठा दिये गये हैं, जबकि गरीब दर दर की ठोकरें खा रहा है।
इस बारे में सपा नेता खुर्शीद अहमद का कहना है कि वह जल्द ही मामले को पार्टी बैठक में उठा कर मोहनलाल की समस्या को हल कराने का प्रयास करेंगे। दूसरी तरफ बीडीओ केडी गोस्वामी कहते हैं, कि ऐसे गरीब को आवास से वंचित देख कर दुख होता हे। पंचायत का चुनाव समाप्त होने के बाद वह पीड़ित की मदद जरूर करेंगे।