सिद्धार्थनगर में सपा के पास टिकट दावेदारों का टोटा, भाजपा में टिकट के लिए मारा मारी

October 30, 2022 1:25 PM0 commentsViews: 1079
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नजीर मलिक

संसद जगदम्बिका पाल को स्मृति चिन्ह प्रदान करते एस.पी. अग्रवाल

सिद्धार्थनगर। नगर नकायों के चुनाव सर पर आ चुके हैं। अगले सप्ताह अधिसूचना जारी होने के खबर के साथ राजनीतिक दल अपने अपने उम्मीदवारों के चयन के लिए माथा पच्ची में लगे हैं। इसी के साथ उम्मीदवारों में भी टिकट के लिए जोड़ तोड़ शुरू हो गई है। ऐसी दशा में जिले में राजनतिक हलचलें बढ़ गईं है। सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर टिकटों के लिए चल रहा घात प्रतिघात बेहद रोचक हो गया है। यहां भाजपा के पास उम्मीदवारों की भारी फ़ौज है। उनमें से योग्यतम का चयन करना टेढ़ी खीर बनाने के समान है।

सिद्धार्थनगरः भाजपा में हलचल, सपा में सन्नाटा

सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर टिकट के लिए भाजपा में अत्यधिक सक्रयता दिख रही है। यहां से नगर पालिका अध्यक्ष के टिकट के लिए वर्तमान चेयरमैन श्यामबिहारी जायसवाल, पूर्व चेयरमैन एस.पी. अग्रवाल, युवा नेता राजू सिंह, राकेश दत्त त्रिपाठी, गुड्डू त्रिपाठी, परमात्मा मिश्रा, बबलू श्रीवास्तव आदि लगभग एक दर्जन लोग टिकट के दावेदार है। सभी लोगों को विश्वास है कि टिकट की रेस में बाजी उन्हीं के हाथ लगेगी, मगर लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में चलने वाली हलचलों पर विश्वास करें तो इनमें सर्वधिक मजबूत दावेदार एसपी अग्रवाल दिखते हैं।

बताया जाता है कि वर्तमान चेयरमैन श्यामबिहारी जायसाल सबसे महत्वपूर्ण दावेदार हो सकते थे, मगर उनको लेकर पार्टी का जिला संगठन ही राजी नहीं। सदर विधायक को छोड़ कर पार्टी के अन्य प्रभावशाली जन या तो उनके प्रति तटस्थ है अथवा उनके विरोधी है। ऐसे में एक बार पत्नी व एक बार स्वयं अध्यक्ष चुने जा चुके एसपी अग्रवाल को राजनीतिक लाभ मिल जाने की उम्मीद है। वे क्षेत्रीय सांसद जगदम्बिका पाल के प्रतनिधि भी हैं। यही नहीं टिकट ले उड़ने की राजनीति का उन्हें अच्छा खासा अनुभव भी है।

जबकि बेहतर और मजबूत दावेदार राजू सिंह और राकेश दत्त त्रिपाठी अभी युवा है। हालांकि वे मेहनती है और निकाय क्षेत्र में सक्रिय भी है, मगर उन्हें टिकट पाने के दांवपेच का कोई खास तजुरबा नहीं है। मगर यदि राजनति में जातीय समीकरण काम  आया तो राजू सिंह भी चमत्कार कर सकते हैं। वैसे शहर मे राजू सिंह की चर्चा दो साल से जोरों पर चल रही है अन्य सभी लोग चुनाव नजदीक आने पर सक्रियता दिखा रहे हैं। लखनऊ में जातीय समीकरण बहुत ताकतवर है। हां जातीय समीकरण में राकेश दत्त त्रिपाठी तनिक कमजोर दिखते हैं। वैसे कुछ सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि विशेष परिस्थिति में भाजपा जिलाध्यक्ष गविंद माधव भी आम सहमति के नाम पर उम्मीदवार बन सकते हैं।

सिद्धार्थनगर सपा में खमोशी ही खामोशी

सिद्धार्थनगर की नगर पालिका के 33 वर्षों के इतिहास में तीन बार अर्थात 15 सालों तक काबिज रही समाजवादी पार्टी का दबदबा अतीत की भांति इस बार नहीं दिखता है। सपा से पहली बार नगरपालिका चेयरमैन रहे रहे एस.पी. अग्रावाल इस समय भाजपा में हैं। एक अन्य पूर्व अध्यक्ष व सपा नेता जमील सिद्दीकी इस बार कुछ लोगों से चुनाव लड़ने की बात तो करते हैं मगर उसमें राजनीति अधिक और इच्छा शक्ति कम दिखती है।

इसके अलावा दो अन्य नाम भी चर्चा में हैं। एक युवा नेता राम सेवक लोधी और दूसरे विजय चौधरी। इनमें अधिकाश तो विजय चौधरी के चेहरे से भी परिचित नहीं है मगर वह पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं सो युवाओं में उनकी पकड़ है। राम सेवक लोधी जरूर मेहनत कर रहे हैं। मगर उन्हें अभी पार्टी संगठन का समर्थन लेने के लिए और अधिक मेंहनत करनी पड़ेगी।

तो क्या सपा से कोई बाहरी उतरेगा चुनाव में?

तो सपा से आखिर में कौन चुनाव लड़ेगा? इस बारे में सपा के जिला संगठन से जुड़े नेताओं का कहना है कि पार्टी के पास नगर क्षेत्र में जो नेता उपलब्ध है, उसी को टिकट देना मजबूरी है। मगर कपिलवस्तु पोस्ट से भाजपा टिकट की दावेदारी कर रहे एक दावेदार ने बताया कि वह सपा के सम्पर्क में अभी से है। यदि उसे भाजपा सेटिकट नहींमिला तो वह सपा से चुनाव लड़ेगा। वैसे शहर की राजनतिक नब्ज समण्ने वालों का अनुमान हैकि भाजपा सेटिकट की दावेदारी कर रहे तीन लोग वर्तमान में सपा के सम्पर्क में है जो भाजपा से टकट नमिलने की दशा में सपा केसिम्बल की कामना रखते हैं। चर्चा हैकि इनमें से एक दिग्गज दावेदार की एक वरिष्ठ सपा नेता संर गोपनीय बैठक भी हो चुकी है।

 

 

 

 

 

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