पानी का दर्दः इस नगर से उस डगर, पांव में बांधे सफर, सैलाब के मारे, बाढ़ पीड़ित लगते बंजारे

July 14, 2024 1:54 PM0 commentsViews: 345
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बाढ़ से घिरे गांवों में राहत, बचाव के साधन नाकाफी, बच्चों को एक मुठ्ठी चना तक नहीं, पलायन कर रहे ग्रामीण, मदद की आवाजें तेज

नजीर मलिक

बाढ़ के खौफ से गांव से ग्राम पेडारी के लोगों की पलायन की मजबूरी,

 

सिद्धार्थनगर। “इस नगर हैं उस उस डगर हैं, पांव में बांधे सफर हैं, हैं थके हारे, नींद के मारे, तुम तो ठहरे यार बंजारे” डा. सुरेश की इन पंक्तियों में नींद की जगह सैलाब कर देने से यह लाइने जिले के बाढ़ पीडितों पर सटीक बैठती है। जिले की सभी नदियां डैंजर लेबिल पार कर बढ़ती ही जा रही हैं। अब नदियों का जलस्तर बेमानी हो गया है।  पानी के दबाव से जिले के लगभग 4 सौ गांव और लगभग 3 लाख आबादी बुरी तरह प्रभावित है। इनमें तकरीबन पौने डेढ़ सौ गांव अभी भी पानी से घिरे हैं।  जमुआर, तेलार नाला बढ़ने से सैलाब अब नौगढ़ तहसील में भी तबाही की इबारत लिखने लगा है। सबसे बुरी हालत डुमरियागंज तहसील के विकास खंड भनवापुर की है, जहां खंड प्रलय की स्थिति है। राहत और बचाव के लिए सरकारी संसाधन नाकाफी हैं। बाढ़ पीड़ित गांवों से पलायन कर अन्यत्र शरण लेने को मजबूर है। अब राहत और बचाव के लिए नाव व खाद्यान्न की मांग जोर पकडने लगी है।  

सैलाब का खतरा, जानवरों को लेकर घर छोड़ते ग्रामीण

भनवापुर ब्लाक में जलप्रलय

भनवापुर ब्लाक के ग्राम कठौतिया पांडेय, राउतडीला, बामदेई, गोपिया, बेंवा मुस्तहकम, असनहरा माफी, मछिया, मुस्तहकम, मछिया एहतमाली, तेनुई, नेहतुआ नेबुआ, धनोहरी, फत्तेपुर. खुरपहवा, पेड़ारी आदि गांव चारों तरफ से पानी से घिर कर टापू का रूप ले चुके हैं। इसके अलावा बीरपुर कोहल, तेतरी, बुढ़िया टायर, भरवठिया, जहदा, महतिनियां से लेकर बगहवा, बडहरा, सोनखर, समेत डुमरियागंज तहसील के डेढ़ सौ से अधिक गांवों में तबाही मची हुई है। इन गांवों में राहत कर्मियों का कोई पता नहीं है। नावें भी बहुत कम हैं। बाढ़ पीड़ितों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामीण की  जिंदगी तबाह

भनवापुर के ग्राम गोनकोट कोहल, जुड़वनियां व चंदनजोत जैसे गांवों में जरूरी वस्तुओं के लिए लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। लोगों के घरों में घुटने तक पानी भरा है। जुड़वनियां गांव निवासी हसमत अली ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से उफनाई राप्ती की तबाही के बीच हम लोगों की जिंदगी पूरी तरह घरों में कैद है। घरों में पानी भर जाने के कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शौचालयों में बाढ़ का पानी भर जाने के कारण सबसे अधिक समस्या बुजुर्गों व महिलाओं को हो रही है। क्षेत्र के चंदनजोत गांव निवासी शिवपूजन चौरसिया व मो. सिराज ने बताया कि तमाम गांव राप्ती के तट के करीब बसे हैं। पिछले एक सप्ताह से बाढ़ ने सबकी जिंदगी तबाह कर रखी है। घर में रखी जरूरी खाद्य सामग्री, पानी में डूब जाने के बाद जैसे-तैसे कर घर के छतों पर भोजन पकाना और छत तक सीमित रहना मजबूरी बन गई है।

गांव से लोगों का पलायन

सभी बाढ़ ग्रस्त गांवों में बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी पानी मे कैद हो कर रह गई है। गरीब और कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों में पलायन की होड़ मची हुई है। सब भाग कर किसी सुरक्षित स्थान पा तम्बू में पनाह ले रहे हैं। बाढ़ पीड़ित ग्राम पेड़री के नफीस अहमद का कहना है कि उनके क्षेत्र के मछिया, खुरपहवा आदि गांवों के दर्जनों परिवार भाग कर अन्यत्र शरण लिये हुए है। इसी प्रकार सोनखर के राम संवारे बताते हैं कि भदई टोला की हालत खराब है। वहां बच्चे भूखे हैं, एक मुठ्ठी चने के लिए क्रंदन कर रहे हैं। प्रशासन को राहत वितरण तत्काल कराना चाहिए।

ग्राम खुरपहवा के बाढ़ पीड़ित, प्लास्टिक तले जीने को मजबूर

प्लास्टिक की पन्नी में कट रही रात

कुछ गांवों में रविवार को बाढ़ का पानी कम हुआ है। मगर स्थिति सामान्य होने में अभी भी एक सप्ताह लग सकता है। क्षेत्र के कोहल गोनकोट गांव निवासी पृथ्वीराज ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से गांव में लोगों के घरों से लेकर बाहर निकलते वाले रास्तों पर तीन से चार फीट पानी देख कर कलेजा कांप जाता है। गांव व घरों के साथ चारों तरफ के कारण अभाव में आधे पेट भोजन कर रात गुजारने की मजबूरी है। ग्राम खुरपहवा के लड्डू ने बताया कि गांव के कई परिवार घर छोड़ कर छूर कहीं प्लास्टिक की पन्नी तान कर रात गुजार रहे हैं। ग्रमीण मथुरा बताते हैं कि हम सैलाब के मारों की जिंदगी बंजारों जैसी हो चुकी है। जिनका कोई घर ठिकाना नहीं होता। पूर्व विधनसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने राहत वितरण न होने का आरोप लगाते हुए प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की मांग की है।

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