इस बार राखी बांधने के लिए बहनें करेंगी 2 बजे का इंतज़ार
संजीव श्रीवास्तव
“शनिवार को भाइयों की कलाई में रेशम के तार बांधने के लिए बहनों को दोपहर 2 बजे तक इंतजार करना पडे़गा। जाहिर है कि दोपहर तक इंतजार करने में बहनों पर बहुत कुछ भारी पडे़गा। सिद्धार्थनगर के सिंहेश्वरी मंदिर पर पूजा-पाठ करने वाले पंडित सुधीर पांडेय के मुताबिक शनिवार को भोर से भद्रा लग जायेगा, जो दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक चलेगा”
इसके बाद शुभ मूहर्त शुरु होगा। इसी काल में राखी पर्व मनाया जायेगा। हिन्दू धर्म में भद्रा काल में कोई शुभ कार्य नहीं हो सकता है। ऐसे में रक्षाबंधन जैसा पवित्र पर्व भी पौने दो बजे के बाद ही मनाया जा सकेगा।
पर्व को लेकर तैयारी शुरु हो चुकी है। जिन बहनों के भाई परदेस में हैं, उन्होंने अपने भाईयों को राखी भेज भी दिया है। बाजार में इस बार पांच रुपये से लेकर एक हजार मूल्य तक की राखी बिक रही है। मान्यता है कि राखी बांधकर बहनें अपने भाईयों से जीवन भर रक्षा का संकल्प लेती हैं।
इस दिन बहनें भाईयों के माथे पर रोली-चंदन का तिलक लगाने के बाद राखी बांधती हैं। भाई भी अपनी बहनों को कोई न कोई तोहाफा देते हैं। सावन मास की पूर्णिमा के दिन राखी का त्योहार मनाया जाता है। सावन में मनाये जाने के कारण इसे सावनी या सलूनों भी कहते हैं। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने ,चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है।