उल्टा पड़ रहा बसपाई दाव, मैदान में उतरने के साथ ही क्यों सुस्त पड गई हाथी की चाल?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। चुनाव सर पर है और ऐसे में बसपा प्रत्याशी का क्षेत्र से दूर रहना लागों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रहा है। क्या बसपा प्रत्याशी को क्षेत्र में अपनी पोजिशन का यहसास हो गया है या बसपा का दांव उलटा पड़ गया है, जिसके कारण मैदान में उतरने के साथ हाथी की चाल सुस्त पड़ गई है।विश्लेषण करते हैं कि बसपा प्रत्याशी की चाल सुस्त पड़ने के पीछे आखिर माजरा क्या है?
डुमरियागंज सीट से बसपा प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन की प्रत्याशिता का एलान होते ही डमरियागंज संसदीय सीट का सियासी माहौल काफी गरम हो गया था। लोग सपा बसपा के बीच मुस्लिम वाटों के विभाजन की आशंका से भाजपा की राह आसान मानने लगे थे। प्रत्यशी बनने के बाद से लगभग एक सप्ताह तक घोषित उम्मीदवार ख्वाजा समसुद्दीन की क्षेत्र में सक्रियता से जनमानस में वोट विभाजन की यह आशंका और भी पुख्ता हो रही थी। लेकिन आगे चल कर कुछ ऐसा हो गया कि क्षेत्र का राजनीतिक परिद्श्य अचनक करवटें लेने लगा।
हुआ यह कि क्षेत्र में पांच सात दिन की सक्रियता के बाद ही बसपा प्रत्याशह शमसुद्दीन को यह पता चलने लगा कि यहां का मुसलमान मतदाता उनके साथ नहीं है। सूत्रों की माने तो अनेक लोगों ने उनसे कहा कि उनका लड़ना बेकार है। वैसे जनचर्चा यह भी है कि ख्वाजा शमसुद्दीन को भाजपा को जिताने के लिए ही बसपा का उम्मीदावार बनाया गया है। बसपा के बारे में प्रदेश भी में यही धारणा बनी हुई है। इन सब कारणों से लोग कहते हैं कि बसपा प्रत्याशी का मनोबल टूटने लगा है और वह क्षेत्र में कम देखे जा रहे हैं।
दूसरी तरफ यह चर्चा भी जोरों पर है कि मुस्लिम उम्मीदवार ख्वाजा शमसुद्दीन के प्रति मुसलमानों की दूरी देख बसपा का एक खेमा उम्मीदवार बदलवाने के प्रयास में भी लग गया है। चर्चा है कि जल्द ही बसपा को एक नया उम्मीदवार मिल सकता है। खबर है कि अमर सिंह चौधरी बसपा का टिकट पा सकते हैं।यदि ऐसा हुआ तो चुनावी समीकरण बदल जायेंगे कुर्मी वोटों को लेकर भाजपा की चिंता बढ़ जायेगी। इस बारें में जब प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह चुनाव में सुस्त नहीं बड़े है और इस वक्त भी वह शोहरतगढ़ में एक बैठक में भाग ले रहे हैं। इसके बावजूद बसपा की पोजिशन साफ होने के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा।