निकाय चुनावः उस्का बाजर में भाजपा वोटों के बिखराव की शिकार, सपा को लाभ की उम्मीद
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। उस्का बाजार नगर पंचायत में चुनावी टक्कर रोचक होती जा रही है। गत चुनाव में सपा यमर्थक मत काफी बंटे थें, इस बार भाजपा बिखराव की शिकार है। लिहाजा नतीजे उलट सकते हैं। भाजपा उम्मीदवार जहां अपनी सीट बचाने की लड़ाई लड रहे है, वहीं सपा प्रत्याशी पछिली पराजय का बदला लेने को आतुर हैं।
उस्का बाजार नगर पंचायत में भाजपा इस बार वोटों के बिखराव के जाल में फंसी है। इस बार यहां सात उम्म्मीदवार मैदान में हैं। सीट महिला होने के कारण कई नेताओं को अपनी पत्नी या अन्य परिजन को मैदान में उतारना पडा है। वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष हेमंत जायसवाल ने अपनी पत्नी मंजू देवी को मैदान में उतारा है। गत चुनाव में उनके निकटतम प्रतिद्धंदी रहे सपा नेता सुरेश यादव की पत्नी पुनीता यादव मैदान में हैं।
पिछली बार पुनीता यादव के पति सुरेश यादव मुस्लिम और यादव मतों के विभाजित होने के कारण हेमंत जायसवाल के मुकाबले में चुनाव हार गये थे। उस्का बाजार के जानकार बताते हैं कि इस बार सुरेश यादव के उलट हेंमंत जायसवाल की पत्नी के वोटों में विभाजन हो रहा है। नगर के काफी प्रभावशाली व्यक्ति बलराम जायसवाल की पत्नी बच्ची देवी चुनाव मैदान में हैं। इसके अलवा भी अन्य कई उम्मीदवार है जो भाजपा के बोट बैंक में ही सेंधमारी करेंगी।
गौरतलब है कि पूर्व विधायक स्व. मथुरा पांडेय के परिवार से बिंदकली पांडेय चुनाव मैदान में हैं। स्व मथुरा पांडेय की उपनगर में आज भी काफी इज्जत है। इसके अलावा बसपा से रंजना पांडेय और निर्दल प्रमिला अग्रहरि भी चुनाव लड़ रही है। यह सभी उम्मीदवार सपा विरोधी खेमे से तालल्लुक रखते हैं। जाहिर है कि ये सभी हर हाल में भाजपा के वोट बैंक को ही नुकसान पहुंचाएंगे। हेमंत जायसवाल भी इस सच्चााई को समझ कर रणनीति बनाने में लगे हैं।
फिलहाल उस्का बाजार नगर पंचायत में भाजपा उम्मीदवार मंजू देवी ऐसे उम्मीदवारों से घिर गई हैं जो हर हालत में उन्हें ही नुकसान पहुंचाएंगे। दूसरी तरफ पुनीता यादव इस बार अपनों के विरोध से मुक्त हैं। गत चुनाव में उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले सपा समर्थक भी उनके साथ हैं। इसलिए सपा के चोमे में काफी उत्साह है।
जानकार कहते हैं कि इस बार वर्तमान चेयरमैन हेमंत जायसवाल व भाजपा के लिए लिए यि सीट पिछली बार की तारह सुीररक्षित नहीं है। हेमंत पूरी ताकत से सभी सियासी गणित फेल करने में लगे हैं। लेकिन भाजपा समर्थक वोटों में विभाजन के आसार ज्यादा हैं। फिलहाल सुरेश यादव का हौसला आसमान पर है, देखना है कि चुनावी उंट किस तरह करवट बदलता है।