गोंडाः गौरा विधानसभा सीट से कलाम मलिक की दावेदारी आखिर क्यों दिख रही मजबूत?
समाजवादी पार्टी गोंडा में राजपूतों के बढ़ते वर्चस्व से ब्राह्मण व पिछडे वर्ग के वोटरों में पैठी शंका
गत चुनाव में गोंडा, बस्ती, सिद्धार्थनगर जिलों में मुस्लिम को टिकट न देना घातक- अफरोज मलिक
नजीर मलिक
सपा नेता कलाम मलिक छोटे भाई व वैकल्पिक दावेदार हफीज मलिक के साथ
गोंडा। जिले की चर्चित गौरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए अभी से मारामारी शुरू हो चुकी है। यहां से एक वर्ग इस बार किसी मुस्लिम लीडर को टिकट दिए जाने की वकालत कर रहा है। दावेदारों की कतार में अब्दुल कलाम मलिक एक एक सशक्त मुस्लिम दावेदार है। उनका जनाधर भी पिछले चुनाव में साबित हो चुका है। गौरा विधानसभा सीट सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज की पड़ोसी सीट है।
गौरा विधानसभा सीट पर 2022 के चुनाव में टिकट के लिए अब्दुल कलाम मलिक, उनके छोअे भाई हफीज मलिक सहित राम प्रसाद सिंह, अमर यादव, सौम्या पांउेय, सहित आधा दर्जन से अधिक नेताओं ने दावेदारी कर रखी है। कलाम गत चुनावों में बसपा प्रत्याशी थ और तत्कालीन सपा प्रत्याशी राम प्रसाद सिहं से मात्र 3 हजार मत कम प्राप्त किये थे। सपा के राम प्रयाद को 42 हजार तथा कलाम मलिक को 39 हजार मत मिले थे। जबकि जीत भाज प्रत्याशी की हुई थी।
गौरा विधनसभा क्षेत्र में इस बार अब्दुल कलाम मलिक का दावा मजबूत माना जा रहा है। सपा समर्थक आदित्य यादव अरविंद यादव्र कहते हैं कि कलाम मलिक पिछली बार 39 हजार वोट पाकर तीसरे नम्बार पर जरूर रहे मगर उससे पहले के चुनाव में वे दम तोड चुकी कांग्रेस के टिकट पर लड़ कर दूसरे नम्बर पर रहे थे। इससे उनके मजबूत जनाधार का अंदाजा लगता है। दोनों यादव नेता कहते हैं कि गोंडा जिले में राजपूतों की आबादी 4 प्रतिशत के आसपास है। फिर भी आम तौर से सपा की तरफ से पूरे जिले में राजपूतों को वरीयता मिल रही है, जिससे सपा से अन्य जातियां विशेष कर पिछड वर्ग जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रहा है।
अरविंद यादव व आदित्य की बात का समर्थन करते हुए क्षेत्र के केदार पांडेय कहते हैं कि गोंडा जिले में बाह्मण और राजपूत वर्ग में आपस में प्रतिस्पर्घा रहती है। सपा द्धारा गोंडा जिले में राजपूतों को अति से ज्यादा महत्व देना ब्राह्मण समाज को कभी रास नहीं आता। इसलिए सपा नेतृत्व को इस बार 25 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाली गौरा सीट से टिकट दिया जाना ही लाभप्रद होगा। इससे ब्राह्मण समाज भी दिल खेल कर सपा को वोट पोल करेंगे। लिहाजा दोनों भाइयों (कलाम मलिक या हफीज मलिक) में से किसी एक के नाम पर पार्टी को गौर करना चाहिए।
इसी क्रम में समाजसेवी और जय हो फाउंडेशन के अध्यक्ष अफरोज मलिक कहते हैं कि पिछले चुनाव में सपा ने गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर के जिलों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतरा था, इसका संदेश इन जिलों में सपा के प्रति बहुत नकारात्मक गया था। जिसके कारण सपा को कई निश्चित जीत वाली सीटों पर हारना पड़ा था। उनकी राय के मुताबिक बड़ी जीत के लिए सपा को इस बार इन जिलों से कम से कम एक एक मुस्लिम उम्मीदवार जरूर उतारना चाहिए। वरना नतीजे ढाक के तीन पात वाले ही होंगे।