5 अक्टूबर को होगा सिद्धार्थनगर मुख्यालय के हनुमान गढ़ी में शस्त्र पूजन
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। दशहरे के त्योहार की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। नवरात्रि के दसवें दिन विजदशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। रविवार को हिन्दू आस्था से ओत प्रोत लोगों की एक बैठक हुई। इसमें पांच अक्टूबर विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन करने का निर्णय हुआ है।
क्षत्रीय महासभा के जिलाध्यक्ष भूप नारायण सिंह, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व विश्व हिंदू महासंघ के जिलाध्यक्ष अखंड प्रताप सिंह और ठेकेदार संघ के जिलाध्यक्ष सूर्य प्रकाश चतुर्वेदी उर्फ़ छोटे चौबे ने बताया कि दशहरा की सुबह 11 बजे शहर के पेट्रोल पम्प तिराहे के निकट हनुमान गढ़ी मंदिर में शस्त्र करने का आयोजन किया गया है। उक्त लोगों ने शहर वासियों से अपील किया है कि लोग अपने आत्म रक्षार्थ रखे गये शस्त्रों का पूजन करने ससमय पहुंचे।
वक्ताओं ने कहा कि बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक, इस त्योहार से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं। इसी दिन अच्छाई की जीत ने रावण का वध किया था। साथ ही यह भी मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। देशभर में इसे अलग-अलग नामों, अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। देश के तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र पर्देश में इसे आयुध पुजाई के नाम से जाना जाता है। वहीं महाराष्ट्र में इसे खंडे नवमी के नाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे शस्त्र पूजन नाम से जाना जाता है।
दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र पूजन का किया जाता है। मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं। भारत की रियासतों में शस्त्र पूजन धूम-धाम से मनाया जाता था। अब रियासतें तो नही रहीं लेकिन परंपराएं शाश्वत हैं। यही कारण है कि इस दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। हथियारों की साफ-सफाई की जाती है और उनका पूजन होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए।