सफाई पर हर माह 36 करोड़ खर्च मगर गांवों की हालत म्यूनिसपलिटी की कचरा पेटी से भी बदतर
चौंकिये नहीं! सिद्धार्थनगर के गांवों को साफ-सुथरा रखने के लिए सरकार सफाईकर्मियों को वेतन के रूप मे हर माह 36 करोड़ रुपये का भगुतान करती है। दूसरी तरफ गाव इतने गंदे है कि वह किसी म्यूनिस्पलिटी की कचरा पेटी की तरह बदबू फैलाते हैं।
सिद्धार्थनगर में सफाई कर्मियों की कुल तादाद 2089 है। इनके जिम्मे यहां के 1199 गांवों की सफाई है। इसके बदले प्रत्येक सफाई कर्मियों को हर माह 17 हजार 5 सौ की पगार दी जाती है। इसका मतलब है कि हर माह सिद्धार्थनगर के प्रत्येक गांव की सफाई पर 30 हजार से अधिक खर्च की जाती है, मगर यहां के अधिकांश गांव में चौतरफा गंदगी देखने को मिलती है।
ज्यादातर ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांवों में सफाईकर्मी के दर्शन नहीं होते हैं। जनपद मुख्यालय से सटे गांव जगदीशपुर खुर्द निवासी हरिनारायण रस्तोगी, जालिम, कपूर चंद्र आदि का कहना है कि पांच माह से उनके गांव में सफाई कर्मी नहीं आया है। ग्रामीणों ने कहा कि इसकी शिकायत उन लोगों ने कई बार जिला पंचायत राज अधिकारी से की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ।
ग्राम दतरंगवा के दूधनाथ चौधरी, राजमन गौड़ का कहना है कि उनके गांव में तैनात सफाई कर्मी कभी-कभार आता है और ग्रामीणों से नाली में गंदगी न फेंकने की बात कह कर चला जाता है। अगर कभी सफाई भी करता है, तो ग्रामीणों से उलझ जाता है।
कमोबेश यही हालत जिले के अधिकांश गांवों की है। कहीं प्रधान सफाईकर्मी से वेतन का एक हिस्सा लेकर उसे काम से मुक्त रखे हुए है तो कहीं सफाईकर्मी ही इतने दबंग है कि वह प्रधान के काबू में नहीं रहते हैं।
इस सिलसिले में जिला पंचायत राज अधिकारी शशिकांत मिश्रा का कहना है कि अब नियमित निरीक्षण होता है। अगर कोई सफाई कर्मी काम करने में हीला-हवाली करता है, तो ग्रामीण शिकायत कर सकते हैं। उनकी शिकायतों पर जांच कराकर दोषी सफाई कर्मियों पर कार्रवाई की जायेगी।