भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल को घेरने के लिए संयुक्त विपक्ष बना रहा गहरी रणनीति
पाल का चौथा विजय रथ रोकने के कवायद में जुटे कतिपय राजनीतिज्ञ
भाजपा की ताकत व पाल के अनुभव के आगे एमवाई इक्वेशन कमजोर
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। लोकसभा सीट डुमरियागंज से लगातार तीन बार के सांसद और भाजपा नेता जगदम्बिका पाल को आगामी चुनाव में पटखनी देने के लिए विपक्षी गठबंधन की ओर से तगड़ी रणनीति बनाई जा रही है। इसके लिए कई नेता दिल्ली और लखनऊ में लगातार प्रयास भी कर रहे हैं। लेकिन अभी तक उनकी घेरेबंदी के लिए कोई कारगर तरीका नहीं चखोज पाने की खबरें भी हैं।
रुकेगा पाल का विजय रथ
याद रहे है कि कांग्रेस और सपा के कतिपय नेता इस विचार के हैं कि जगदम्बिका पाल का चौथा विजय रथ रोकने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में कुछ विशेष प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। इस विचार वाले नेताओं का मानना है कि डुमरियागंज लोकसभा सीट से इस बार ब्राह्मण अथवा कुर्मी प्रत्याशी उतार कर भाजपा को शिकस्त दी जा सकती है। क्योंकि यहां केवल एमवाई समीकरण के सहारे चुनाव जीतना नमुमकिन है, वह भी भाजपा के उठान के दौर में।
यह सीट हालांकि समझौते में सपा के खाते में गई है। लेकिन सपा की दिक्कत यह हैकि उनके पास पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद के अतिरिक्त और कोई बड़ा चेहरा ही नहीं है। माता प्रसाद पांडेय की उम्र काफी हो चुकी है। वह लोकसभा जैसे बड़े क्षेत्र में भागदौड़ करने में शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है। इसके अलावा सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष झिनकू चौधरी कुर्मी जाति के हैं मगर उनका क्षेत्र में जनाधार न के बराबर है ऐसे में इडिया गठबंधन के शुभचिंतक और तटस्थ विश्लेषक इसी सीट पर सपा से बाहर का उम्मीदवार उतारने का सुझाव दे रहे हैं।
ब्रह्मण, कुर्मी उम्मीदवार का सुझाव
सूत्रों से पता चला है कि इंडिया गठबंधन के कुछ शुभचिंतक लखनऊ और दिल्ली में सपा व कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह समझा रहे हैं कि इस क्षेत्र से सशक्त कुर्मी अथवा ब्राह्मण नेता उतार कर मुस्लिम यादव सहित तीन जातियों का गठजोड़ बनाते हुए सत्ताघारी दल के उम्मीदवार के खिलाफ इंकम्बैंसी का लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए चन्द्रशेखर आजद की आजाद समाज पार्टी के नेता व पूर्व विधायक चौधरी अमर सिंह सहित कांग्रेस के ब्राह्मण नेता व दर्जा प्राप्त मंत्री रहे नर्वदेश्वर शुक्ल व सच्चिदानंद पांडेय आदि का नाम सपा व कांग्रेस के अलाकमान को सुझा जा रहा है। खबर है कि इसी के मद्देनजर नर्वदेश्वर शुक्ल कांग्रेस हाईकमान से सम्पर्क में लग गये हैं। एक सूत्र का कहना है कि सपा में चौधरी अमर सिंह के नाम पर विचार भी किया जा रहा है। कुर्मी बिरादरी का यहां काफी वोट है। उसी बिरादरी का होने के कारण अमर सिंह भी चुनाव का रुख बदल सकते हैं।
एमवाई समीकरण से जीत नामुमकिन
सूत्रों का कहना है कि यदि सपा आलाकमान की समझ में यह बात आई तो भाजपा को यहां गठबंधन से बड़ी चुनौती मिल सकती है। इन प्रयासों को बल नमिलने की दशा में यहां से माता प्रसाद प्रसाद पांडेय का उम्मीदवार घोषित किया जाना लगभग तय है। बता दें कि यहां के राजनीतिक समीकरण ऐसे है कि केवल एमवाई समीकरण के बल पर सपा का चुनाव जीतना कठिन है। उसके लिए कम से कम एक अन्य जाति को जोड़ना और भी जरूरी है। इसी कारण ब्राह्मण अथवा कुर्मी प्रत्यशी पर बल दिया जा रहा है। बहरहाल समाजवादी पार्टी इस बारे में क्या निर्णय लेगी, यह स्पष्ट होने के बाद ही चुनावी परिदृश्य का अनुमान लगाया जा सकेगा।