exclusive- चुनावी महासमर बाद की बात, पहले संयुक्त विपक्ष में होगा ‘टिकट संग्राम’
—डुमरियागंज लोकसभा सीट
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। यूपी में भाजपा के खिलाफ चुनावी गठबंधन की बात लगभग तय हो गई है। सपा बसपा व अन्य कई दल मिल कर आगामी लोकसभा चुनाव लडेंगे। अभी कांग्रेस का कोई अधिकृत बयान नहीं आया है. लेकिन देर सवेर वह भी गठबंधन का हिस्सा होगा। ऐसे में डुमरियागंज लोकसभा की सीट पर टिकट के लिए घमासान तय है। क्योंकि यहां से चार दलों के चहेते उम्मदवारों की दावेदारी है।
सिद्धार्थनगर(डुमरियागंज) सीट पर 2014 के चुनाव में भाजपा से जगदम्बिका पाल लडे और जीते भी थे। यहां से बसपा उम्मीदवार मुहम्मद मुकीम दूसरे, सपा के माता प्रसाद पांडेय तीसरे,. पीस और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चौथे पांचवे व नम्बर पर थे। इस हिसाब से गठबंधन नीति के तहत दूसरे नम्बर पर रहने वाली बसपा की इस सीट पर दावेदारी बनती है। ऐसे में बसपा के घोषित उम्मीदवार आफताब आलाम के भाग्य का पिटारा खुल जायेगा।
लेकिन सवाल उठता है कि क्या डुमरियागंज सीट बसपा के खाते में जायेगी? जानकार बताते हैं कि इस सीट से गोरखपुर बस्ती मंडल में टिकट के लिए सबसे सबसे अधिक मारा मारी है। डुमरियागंज सीट पर बसपा का पूरा हक होने के बाद भी सपा, पीस पार्टी और कांग्रेस भी इस सीट के लिए पूरा प्रयास करेंगी। जाहिर है कि मामला उतना आसान नहीं, जितना समझा जा रहा है।
इस सीट पर है पीस अध्यक्ष डा. अयूब की नजर
जानकार बताते हैं कि इस सीट से पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अयूब भी लड़ने का इरादा रखते हैं। पीस के प्रदेश अध्यक्ष डा. मन्नान ने खुल कर कह भी दिया है। डा. अयूब पिछला चुनाव भी यहीं से लड़े थे और 95 हजार वोट पाकर चौथे नम्बर पर रहे थे। वे पीस पार्टी के सर्वे सर्वा हैं, लिहाज उनकी बात तो सबको सुननी ही पड़ेगी, भले ही फैसला कुछ भी हो। अब देखना यह है कि भविष्य में गठबंधन के शेष घटकों पर दबाव बनाने में कितना सक्षम होंगे। दूसरे शब्दों में कौन किसको कितना ब्लैकमेल कर पाता है।
राहुल की नजर में मुकीम जरूरी
कांग्रेस की बात करना अभी गैरवाजिब है। मगर वह गठबंधन में शामिल हुई तो वह भी यहां की सीट पर दावा कर वह पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम को लड़ाना चाहेगी। वह इसके लिए दबाव बनाने में भी नहीं हिचकेगी। क्योंकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मुहम्मद मुकीम व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी के पसंदीदा उम्मीदवारों की श्रेणी में हैं। मुहम्मद मुकीम ने गत चुनावों में बसपा से लड़ कर दो लाख से कुछ कम वोट हासिल किया था। अब वे कांग्रेस में हैं।
क्या होगा समाजवादी पार्टी का रुख
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ही गठबंधन के सबसे प्रबल समर्थक हैं, इसलिए वे समझौता नियमों के खिलाफ नहीं जायेंगे, मगर उनकी दिक्कत पार्टी के दिग्गज नेता माता प्रसाद पांडेय हैं, जो लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इसके अलावा सपा नेता आलोक तिवारी और पूर्व विधायक विजय पासवान भी यहां से चुनाव लड़ने का मन बनाये हुए हैं। इन तीनों का दबाव इस सीट को सपा के हिस्से में रखने के लिए अखिलेश पर कितना दबाव बनेगा, यह देखने की बात है।
क्या रहेगा मायावती का स्टेंड?
मायावती के रुख को जानने वालों को पता है कि उनका तेवर कितना अड़ियल है। वह इस सीट को विपक्ष को देने को शायद ही राजी हों। गठबंधन नियमों के अनुसार यह सीट उनके हिस्से में आनी चाहिए, यह उनको भली भांति पता है। बसपा के घोषित उम्मीदवार उनके करीबियों की लिस्ट में हैं। नसीमुद्दीन के बसपा छोड़ने के बाद वे बसपा के चुनिंदा मुस्लिम चेहरों में गिने जाते हैं। ऐसे में मायावती डुमरियागंज आफतब आलम को हटाने का जोखिम लेंगी, ऐसा नहीं लगता। फिलहाल डुमरियागंज के हालात उलझे हुए लगते हैं, आगे क्या होगा, यह समझाैता समिति की पहली बैठक के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
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