लगातार नीचे जा रहा जलस्तर, जल्द बारिश न हुई तो मचेगा कोहराम
संजीव श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर। भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली के रुप में प्रसिद्ध सिद्धार्थनगर जनपद में भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे खिसक रहा है। अप्रैल माह में ही यहां के कई इलाकों में हैंडपंप बेपानी हो चुके हैं। इससे इन क्षेत्रों में जल संकट गहरा गया है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर मई माह में बरसात नहीं हुई तो पानी का संकट कोहराम मचायेगा।
नेपाल सीमा से सटे 27 लाख आबादी वाले सिद्धार्थनगर जिला वैसे तो चारों ओर से नदियों से घिरा है। यहां की नदियों का उदगम स्थल नेपाल की पहाड़ियां है, मगर वर्तमान में जिले की अधिकांश नदियां सूखी है। पिछले वर्ष बरसात न होने के कारण जलस्तर लगातार खिसक रहा है।
जलस्तर नीचे जाने के कारण सिद्धार्थनगर में हजारों की तादाद में हैंडपंप बेपानी हो चुके हैं, जो चल भी रहे हैं, उनमें पानी कम निकल रहा है। सर्वाधिक परेशानी टुल्लू पंपों से पानी चढ़ाने में है। 5 सौ लीटर की जो टंकी पहले 20 से 25 मिनट में भरती थी, आज उसे भरने में तीन से चार घंटे तक का समय लग रहा हैं।
अनेक घरों में नल सूखने से उनकी जीवन शैली ही बदल गयी हैं। सुबह शाम पड़ोसियों के नलों से पानी लाने में उनके पसीने छूट रहे हैं। जल संकट का असर पशु- पक्षियों पर भी साफ दिखायी देने लगा है। तालाब व पोखरे सूख गये हैं। इससे उनके सामने भी अपनी प्यास बुझाने का संकट गहरा गया है।
बुद्ध वि़द्या पीठ डिग्री कालेज के पूर्व प्राचार्य सुरेन्द्र मिश्रा का कहना है कि अब समय आ गया है कि बरसाती पानी के संरक्षण पर विशेष योजना बनायी जाये और पौधरोपण पर ध्यान दिया जायें, वरना हम सभी ने प्रकृति के साथ जिस कदर छेड़छाड़ की है, उससे आने वाले समय में जल संकट और भी गहरायेगा।