बसपा से बर्खास्तगी के बाद क्या होगा नवेद रिज्वी और जमील सिद्दीकी का अगला कदम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले के दो धुरंधर नेता नवेद रिजवी और जमील सिद्दीकी के बसपा से निष्कासन के बाद जिले में सियासी हलचल बढ़ी हुई है। इन दोनों नेताओं के बसपा से बाहर होने के बाद से ही उनके अगले राजनीतिक कदम के बारे में अनुमान लगना शुरू हो गये हैं। लेकिन जिले में ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है कि आने वाला कुछ समय इन दोनों नेताओं को राजनीतिक बियाबान में भटकने पर मजबूर कर सकता है।
कल सिद्धार्थनगर के बसपा जिलाध्यक्ष शेखर आजाद ने घोषणा किया कि यहां से बसपा के लोकसभा के घोषित प्रत्याशी का विरोध करने जैसी तमाम अनुशासनहीनताओं के करण दोनों नेताओं को पार्टी से निकाला गया है। जवाब में बसपा नेता नवेद रिजवी ने बताया कि शुक्रवार को बहन जी ने अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है परन्तु उन्होंने वहां जाने से इंकर करते हुए बसपा को अलविदा कह दिया।
लखनऊ में रहने वाले सिद्धार्थनगर के बसपा नेता नवेद रिजवी पार्टी के लिएकाफी मुफीद माने जाते थे।पार्टी के लिए जरुरत पर फंड बटोरने और नेताओं की लाइजनिंग में उन्हें महारत हासिल थी। सिद्धार्थनगर में बसपा में उनका काफी प्रभाव था। वह यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। वह आर्थिक रुपे काफी सक्षम हैं, लेकिन बसपा ने उनके स्थान पर बाहर के आदमी को उम्मीदवार घोषित कर लोगों को नाराज कर दिया।
दूसरी तरफ शोहरतगढ विधानसभा सीटसेचुनाव लड़ने वाले जमील सिद्दीकी की पहचान जनाधर वाले नेताओं में थी। वह सिद्धार्थनगर के नगरपालिका अध्यक्ष थे और सपा छोड़ कर बसपा में आये थे। कम समय में उन्होंने बसपा में मुकाम हासिल कर लिया था। गत विधानसभा चुनाव में वह नवेद रिजवी के सहयोग से बसपा का टिकट पाने में भी सफल रहे थे। नवेद रिजवी और जमील सिद्दीकी के बीच अच्छी जुगलबंदी थी।
बसपा से आउट होने के बाद उनका नया सियासी आशियाना क्या होगा, इस पर कयासबाजियां जारी हैं। सूत्रों का कहना है कि वह पिछले दिनों सपा में प्रवेश के इच्छुक थे, मगर सपा के नेता उग्रसेन सिंह के प्रबल विरोध के चलते उनकीसपा में वापसी का मामला खटाई में पड़ गया। वह भविष्य में सपा में जाने का दुबारा प्रयास करेंगे या किसी नई पार्टी की ओर रुख करेंगे सह अभी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। जमील सिद्दीकी भी अभी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।