चेन्नई से दो दोस्त चले आपस में खुशियों बांटने, लेकिन घर पहुंचे तो मौत ने जिंदगी ही छीन ली

December 26, 2023 2:19 PM0 commentsViews: 769
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नजीर मलिक

जिगरी दोस्त सोनू गौड़ और अनिल चाौधरी

सिद्धार्थनगर। गोल्हौरा थाना क्षेत्र के महुआ गांव निवासी सोनू गौड़ के घर में लोग बेटी के जन्म की खुशी मना रहे थे। इन्हें क्या मालूम था कि बेटी आने के कुछ ही पल में उस मासूम का बाप दूसरी दनियां के सफर पर रवाना हो जाएगा और मासूम बेटी के के सर से बाप का साया हमेशा के लिए उठ जाएगा। एक एंबुलेंस से मां औरनवजात बेटी जैसे ही घर पहुंची। पीछे से उसके बाप और उनके दोस्त की मौत की मनहूस खबर आ गई। इस घटना ने परिवार को झकझोर कर रख दिया।

क्षेत्र के महुआ गांव निवासी 26 वर्षीय मृतक सोनू गौड़ तीन भाई दो बहन थे। दोनों बहन की शादी हो गई है। भाइयों में वह सबसे छोटा था। सोनू के दो पुत्र रितेश (7) वर्ष व प्रीतम (5) है। उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार के लोग उसे लेकर बांसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गए थे। जहां कुछ ही घंटे पहले एक बेटी का जन्म हुआ था। नार्मल डिलिवरी से बच्ची होने के कारण कुछ समय रखने के बाद डॉक्टर ने छोड़ दिया था। एंबुलेंस की मदद से मां और बेटी को सोनू ने घर भेज दिया और बोला की चलो हम पीछे से आ रहे हैं। बेटी के जन्म की सूचना पर परिवार में खुशी का माहौल था। नये मेहमान के स्वागत के बीच मौत की मनहूस खबर ने दस्तक दी हो तो हर कोई हैरत में पड़ गया। हर तरफ चीख-पुकार उठने लगी। खुशियोंं का माहौल अचानक गम में बदल गया।

दरअसल 26 साल का सोनू गौड़ मां बेटी के अस्पताल से रवाना होने के बाद पीछे से बाइक से चल पड़ा था। उसके साथ उसका 28 वर्षीय दोस्त अनिल चौधरी भी था। वे दोनों आपस मेजिगरी दोस्त थे और चेन्नई में साथ रह कर पेंटिंग का काम करते थे।  दोनों एक सप्ताह पूर्व ही घर आये थे। सोनू अपनी पत्नी की डिलेवरी की खबर पर चेन्नई से आ रहा था तो दोस्त अनिल भी उसकी खुशी में शामिल होने केलिए उसके साथ आ गया था। लेकिन एम्बुलेंस के पीछे बाइक से चले तो मानों मौत उनके पीछे चल रही थी।

खुशी बांटने साथ आये थे, दुनियां से भी साथ गये

28 साल के अनिल चौधरी  पुत्र शिव पूजन चौधरी दो भाइयों में बड़ा था। अनिल के दो पुत्र एक पुत्री हैं। इसमें पवन (9), अर्चना (6), रुमा (3) हैं। दोनो घरों में घटना के बाद से ही मातम छाया हुआ है। परिवार और छोटे बच्चों की सिसकियों को सुनकर हर किसी की आंखें नम हो जा रही हैं। एक दोस्त आया था अपने दोस्त की खुशी में शामिल होने केलिए, लेकिन जब बेटी के रूप में घर में [खुशी आई तो दोनों दोस्त एक साथ दुनियां से ही चले गये। अब दोनों ही परिवारों के पास है यादें और दोनों की पत्नियों के सामने है वैधव्य का पहाड़। उनके मासूम बच्चों के पास है एक अनजाना गम, जिन्हें अब यह भी पता नहीं कि उनके पिता अब कभी लौट कर नहीं आने वाले।

 

 

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