कलह ऐसी की पति व तीन बच्चों की लाशें देखने तक नहीं आई पत्नी
70 वर्षीया मां को सहारे देने वाली कोई नहीं बचा, परिवार का अकेला कमाने वाला था राजन
72 घंटे बाद चारों लाशें पहुंची तो गांव में मच गया कोहराम, हर कोई कर रहा था हाय- हाय
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। ढेबरुआ थाना अंतर्गत ग्राम खैरी झुंगहवा, टोला तिरछहवा के राजन व उसके तीन बच्चों की लाशें घटना के 72 घंटे बाद शुक्रवार देर शाम बरामद हो गई हैं। लाशें बूढ़ी राप्ती नदी में बने एक कुंड से बरामद हुई हैं। रात में चारों शव जैसे गांव पहुंचा वहां हाहाकार मच गया। राजन के परिवार में केवल उसकी मां अनारा देवी ही थी। वृद्ध अनारादेवी की दहाड़ें सुन कर हर किसी का कलेजा दहल उठा। परिवार में चारों लाशों का अंतिम संस्कार करने वाला अन्य कोई नहीं था। लोगों ने राय मश्वरा किया और किसी तरह रात को ही चारों लाशों को गांव के बहर दफना दिया गया। बता दें कि अपनी पत्नी साधना देवी से आपसी के चलते 28 साल के राजन ने बुधवार शाम अपने तीन मासूम बच्चों के साथ नदी में कूद कर जान दे दी थी। हैरत है कि पति व तीन बच्चों की मौत की खबर पाकर भी उसकी निष्ठुर पत्नी अपनी ससुराल नहीं पहुंची।
बताया जाता है कि इस लोमहर्षक घटना के बाद से ही स्थानीय गोताखोर और एनडीआरफ की टीम चारों लाशों की तलाश में जुटी थी। घटना के 72 घंटे बाद शुक्रवार की रात करीब आठ बजे एनडीआरएफ की टीम को राजन राजभर पुत्र लल्लू राजभर के अलावा उसके सात वर्षीय राज, पांच पर्षीय पतलू और तीन साल के मासूम प्रेम की लाशों नदी में बने एक कुंड से बरामद हुईं। राजन जिस जगह से नदी में बवच्चों के साथ कूदा था, कुंड उसे लगभग सौ मीटर दूर था। चारों की लाशों 72 घंटों के बीच खराब हो गई थी। उनके शव के कुछ हिस्से को जलीय जंतुओं ने नोच खाया था। उनमें दुर्गंध भी आ रही थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार लाशों जब गांव पहुंची तो वहां कोहराम मच गया। राजन की 70 वर्षीया मां अनारा देवी पछाड़ें खा कर गिर पड़ी। होश आने पर अनारा देवी केवल यही कहती कि “अब हम केकरे सहारे जीयब, राजन के बाप पहले ही मर गइलें, अब राजनों चलि गईलें। के रोटी पानी दे हैं।“ इतना कह कर वह बेहोश हो जाती। होश आने पर वह छाती पीट पीट और यही कह कर दहाड़ें मारने लगती। माहौल अत्यंत हृदय विदारक था। राजन के पिता लल्लू की बचपन में ही मौत गई थी। अनारा ने किसी प्रकार पाल पोस कर बेटे राजन को बड़ा किया। वह मेहनत मजदूरी कर मां सहित बच्चों का पालन पोषण कर रहा था। अब सवाल है कि बूढ़ी और लाचार अनारा देवी को सहारा कौन देगा?
गांव वाले बताते हैं कि 8 साल पहले राजन की शादी सदर तहसील के ग्राम ठड़वरिया की साधानादेवी से हुई थी। साधना सुंदर और महत्वकांक्षी थी। उसकी फरमसइशें बड़ी थी और आमदनी कम। जिसके कारण शादी के दो साल बाद से ही पति़-पत्नी में में कलह होने लगी, जो समय के साथ बढ़ती गई। इस दौरान उनके तीन बच्चे भी हो गये। ग्रमवासी बताते हैं कि कुछ दिन पहले साधना राजन से झगड़ा कर अपने बच्चों को राजन के पास छोड़ कर मायके चली गई।इससे राजन बहुत परेशान थ। उसने कई बार ठड़वरियां जा कर साधना को मनाने की भी कोशिश की। कहते है कि दिन भर काम करने और बूढ़ी मां तथा तीन मासूम बेटों की देखभाल करते राजन टूट सा गया।
पिछले सप्ताह वह पत्नी को मनाने अंतिम बार अपनी ससुराल गया। साधना के इंकार पर उसने कहा भी कि उसके न जाने पर वह अपनी जान दे देगा। हुआ भी यही। अन्ततः राजन ने बुधवार शाम अपने बच्चों को लेकर नदी पर पहुंचा और उन्हें कुछ देर तक प्यार करने के बाद बच्चों समेत नदी में छलांग लगा दी। जहां तक पत्नी साधना का सवाल है उसकी निष्ठुरता दानवी है। वह पति व बच्चों के डूब मरने की खबर पर भी ससुराल नहीं आई थी इसके बाद लाशें बरामद होने की खबर के बाद भी वह ससुराल नही आई, जबकि मायका और ससुराल काफी करीब है।