कहने का मेडिकल कालेज, मगर ठंड में मरीजों को कम्बल तक नहीं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। स्थानीय माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में कम्बल के अभाव में मरीज बेहाल हैं। भयानक सर्दी के मौसम में मेडिकल कालेज से संबद्ध संयुक्त जिला अस्पताल के कंबल से मरीजों का ठंड से बच पाना संभव नहीं है। जबकि विभाग के पास पुराने कंबल भी पर्याप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में मरीज और तीमारदार को ठंड बचने के लिए घर से कंबल व रजाई के साथ अस्पताल जाना पड़ रहा है।
सूत्र बताते हैं कि जिला अस्पताल के मेडिकल कॉलेज से संबंध होने के बाद मरीजों को लगभग 330 बेड पर भर्ती किया जा रहा है, जबकि कम्बल करीब 250 ही हैं। जिला अस्पताल में 24 घंटे में 80 से 110 मरीज भर्ती हो रहे हैं। अस्पताल में चार साल से कंबल की खरीद नहीं हो पाई है। अस्पताल में चादर धुलने का टेंडर है, लेकिन कंबल की धुलाई का टेंडर भी नहीं हुआ है। एक स्वास्थ्य कर्मी ने दबी जुबान से बताया कि इस सीजन में कंबल की धुलाई नहीं हुई है। टेंडर नहीं होने के कारण धुलाई का बिल अलग से बनाया जाता है। कंबल जल्दी सूखता नहीं है, इस कारण धुलाई कराने में भी सोचना पड़ रहा है।
पांच बजे शुरू होती है ठंड, आठ बजे बंटता है कंबल
संयुक्त जिला अस्पताल के वार्डों में रात में आठ बजे कंबल वितरण होता है, जबकि पहाड़ की तराई के कारण यहां सांय पांच बजे ही ठंड शुरे जाती है। सोमवार देर शाम 7 बजे संवाददाता ने पड़ताल की तो वार्ड में मरीजों के बेड पर अस्पताल का कंबल नहीं था, सभी मरीजों के बेड पर उनके घर से लाए हुए कंबल ही थे। शाम पांच बजे ही ठंड शुरू होने के सवाल पर कंबल वितरण शुरू किया गया। इस मौके पर मरीज, परिजन ने कंबल की कमियां भी दिखाई।
वार्ड नंबर एक में भर्ती रामविलास की पत्नी उकीला ने कंबल दिखाते हुए कहा कि इस कंबल से ठंड जाना संभव नहीं है।मरीजों को तो ठंड भी अधिक लगती है। घर के कंबल न हो तो ठंड से तबीयत और बिगड़ जाएगी। इसी प्रकार वार्ड नंबर एक में भर्ती सुशीला के पति राजू ने बताया कि उन्होंने घर से कंबल लाया है। यहां रात में कंबल वितरण होता है, लेकिन शाम से ही ठंड शुरू हो जाती है। इस मौसम में दिन में भी कंबल मिलना चाहिए।
प्रसव कक्ष में भी ठंड का डर
मकिल काले की व्यवस्था के तहत एमसीएच विंग में प्रसव कक्ष स्थानांतरित कर दिया गया है। एक स्टाफ नर्स ने बताया कि प्रसव कक्ष में ब्लोअर या रूम हीटर नहीं लगा है। प्रसव के कुछ देर बाद जच्चा-बच्चा को बाहर वार्ड में भेजा जाता है, तो उन्हें कंबल दिया जाता है। प्रसव कक्ष में ठंड होने से स्वास्थ्य कर्मियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों की सूचना बावजूद भी ठंड से बचाव का बेहतर इंतजाम नहीं किया गया है।