आठ को खुलेगा पंचायत आरक्षण का पिटारा, सियासी दुनियां में होगा कहीं खुशी, कहीं गम

September 3, 2015 2:19 PM0 commentsViews: 573
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नजीर मलिक

zilapanchayat10

“जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण कोटा तय हो गया है। लेकिन कौन सा ग्राम जिला और क्षेत्र पंचायत वार्ड आरक्षित होगा, इसका खुलासा आठ सितम्बर को होगा। यह दिन जनपद के अनेक सियासतदानों के लिए मातम अथवा शहनाई का दिन भी होगा। अपनी सीट को मनमाफिक कराने के लिए उम्मीदवार और उनके सरपरस्त सियासदान साम दाम दंड भेद की नीति अपनाने में लगे हैं। इसे लेकर कई दलाल भी सक्रिय हो चुके हैं”

जिला पंचायत के वार्डों की आधी तस्वीर साफ हो गई है। 48 क्षेत्रों में 16 पर महिलाओं को लड़ने का हक होगा और 19 सीटें अनरिजर्व होंगी। जिन पर कोई भी दांव लगा सकता है। पिछड़ा वर्ग के खाते में आठ और अनुसूचित के खाते में 5 सीटें आई हैं। लेकिन यह घोषणा काफी नहीं है। हर उम्मीदवार अपने क्षेत्र की स्थिति जानने को आतुर है। इसके लिए उसे पांच दिन इंतजार करना है, जो चुनावबाजों पर बहुत भारी पड़ रहे हैं। अगर उनका क्षेत्र उनके मन मुताबिक नहीं हुआ तो उनका चुनावी सपना चूर चूर होना तय है।

डुमरियागंज के विधायक मलिक कमाल यूसुफ के परिजन जिला पंचायत से लगायत ग्राम प्रधान के चुनावों में उतरते रहे हैं। समाजवादी पार्टी के नेता व विधानसभा अघ्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की पत्नी अभी भी ग्राम प्रधान हैं। बसपा के पूर्व सांसद मो मुकीम के बेटे जावेद मुकीम ब्लाक प्रमुख पद के लिए क्षेत्र पंचायत चुनाव लड़ने को बेचैन हैं, तो भाजपा जिलाध्यक्ष के बेटे शक्ति तिवारी ग्राम प्रधानी लड़ने के लिए।

इसके अलावा सपा के पूर्व महामंत्री अफसर रिज्वी, सपा के बडे नेता राम कुमार उर्फ चिनकू यादव की पत्नी पूजा यादव, सपा नेता प्रमोद यादव, भाजपा नेता राधारमण त्रिपाठी के अनुज और ब्लाक प्रमुख कौशल त्रिपाठी, शोहरतगढ़ विधायक के पुत्र उग्रसेन सिहं, बसपा नेता इसरार अहमद आदि की नजर भी चुनावों पर है।

मजे की बात है कि ऐसे सारे चुनावबाज अपने क्षेत्रों को अपने हिसाब से आरक्षित, अनारक्षित कराने की जुगत में हैं। सत्तापक्ष कुछ ज्यादा ही खुश है। उसे लगता है कि वह मनमाफिक कराने में सफल हो जायेगा। विपक्ष हताश है। वह दूसरे हथकंडो का सहारा ले रहा है। मगर आखिरी तस्वीर तो आठ सितम्बर को ही सामने आयेगी। जाहिर है कि फैसला जिनके हक में जायेगा, वहां शहनाई बजेगी। जबकि अन्य के लिए मातम का माहौल होगा। तो साहब आप भी इन सियासतदानों की बेचैनी का मजा लेने के लिए 8 सितम्बर पर नजर रखिए।

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