वार्ड 19- डुमरियागंज में उम्मीदवारों के बजाये सपरस्तों की “पगड़ियां” लगी हैं दांव पर
नजीर मलिक
“जिला पंचायत के वार्ड नम्बर 19 में लड़ाई बहुत रोचक होने जा रही है। यहां आधा दर्जन प्रमुख उम्म्ीदवारों के बीच मुकाबला क्रड़ा है, लेकिन हकीकत यह है कि पर्दे के पीछे उम्मीदवारों के बजाये उनके आला सरपरस्तों की इज्जजत दांव पर लगी है।”
वार्ड में इरफान मलिक, अफसर हुसैन रिजवी, कसीम रिजवी, अयूब मलिक, काति पांडेय आदि के चेहरे सामने है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां उम्मीदवार एक महीने से चुनाव मैदान में डटे हुए हैं।
इरफान मलिक इलाके के विधायक कमाल यूसुफ मलिक के साहबजादे है। कमाल यूसुफ इस क्षेत्र से पांच बार विधायक चुने जा चुके है। इतने वरिष्ठ नेता का बेटा चनाव मैदान में है, तो पिता की साख दांव पर होगी ही।
उनके मुकाबले में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अफसर हुसैन रिजवी है। अफसर रिजवी राज्यसभा सांसद आलोक तिवारी के खासम खास है। आलोक तिवारी सांसद बनने के बाद से ही डुमरियागंज में लगातार सक्रिय रहे हैं। इस चुनाव में अफसर की प्रतिष्ठा को आलोक तिवारी की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जा रहा है।
मलिक अयूब उर्फ चिन्ने भी क्षेत्र के स्वर्गीय विधायक मलिक तौफीक के भाई है। उनकी भतीजी सैयदा मलिक क्षेत्र में कमाल यूयुफ मलिक की सशक्त प्रतिद्धंदी है। अयूूब मलिक की जय पराजय को भी लोग सैयदा मलिक से जो़ड़ कर देख रहे है।
इसी क्षेत्र से लड़ रहे कसीम रिजवी भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। वह पार्टी के अकेले मुस्लिम चेहरे है और सांसद जगदम्बिका पाल के करीबी है। हल्लौर जैसे मुस्लिम बाहुल्य गांव के निवासी हैं।
कसीम की स्थिति क्या बनेगी। क्या वह भाजपा के पक्ष में मुसलमानों के कुछ वोट निकाल पायेंगे? यह एक सवाल है। मुलिम चेहरे के रूप में वह पाल के लिए जमीन बना पायेंगे, यह भी बड़ा सवाल है।
दरअसल इन चारों के मैदान में आने से चुनाव बहुत रोचक हो गया है। चारों के पास अपने अपने वोट बैंक है। ताकतवर सरपरस्त है और संसाधनों की कमी नहीं हैं। चुनाव तो एक मामूली वार्ड का है, लेकिन दांव पर कई बड़ी पगड़ियों की इज्जत लगी हुई है।
कमाल यूसुफ और सैयदा मलिक की खानदानी प्रतिद्धंदिता जगजाहिर है। मगर दोनों ही अफसर रिजवी को जीतने देकर अपना कद घटाना नही चाहेंगे, तो अफसर के लिए कसीम रिजवी रास्ते का रोड़ा है। दूसरी तरफ जगदंबिका पाल भी कसीम को चुनाव जिता कर इस इलाके में भाजपा का इतिहास रचना चाहेंगे।
पूरे जिले की निगाहें इस वार्ड पर टिकी है। प्रशासन भी इस चुनाव को लेकर काफी उत्सुक है। फिलहाल तो उम्मीदवार घर घर पहुंच कर जंग को जीत लेने की जदृदोजहद में है, तो उनके सरपस्त पगड़ी बचाने की नई नई कवायदों में बिजी है। देखिए नतीजा क्या होता है।