वार्ड− 43: सियासी तलवारें काट रहीं रिश्तों की डोर
नजीर मलिक
“पहले चरण के चुनाव में जिला पंचायत वार्ड संख्या 43 में सबसे ज्यादा 32 उम्मीदवार हैं। यहां चुनावी जंग भी सबसे कठिन है। एक से एक दिग्गजों की सियासी तोपें गरज रही हैं। हार जीत का अनुमान बेहद कठिन है। वैसे यहां कई प्रत्याशियों के बीच रिश्तों का भी कत्ल हो रहा है”
इस वार्ड में मुख्य मुकाबला मनोज सिंह, मोहम्मद उमर खां, अरविंद सिंह, डीएन मणि त्रिपाठी, पप्पू भिखारी, के.एम. लाल श्रीवास्तव, संतोष श्रीवास्तव, अश्विनी उपाध्याय के बीच है। यह सभी सिद्धार्थनगर मुख्यालय के चर्चित चेहरे हैं।
के.एम. लाल भाजपा के पुराने नेता हैं तो मोहम्मद उमर पीस पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे हैं। मनोज सिंह और अरविंद सिह जिले के अच्छे ठेकेदारों में शुमार हैं, तो पप्पू भिखारी इस क्षेत्र के थरौली गांव के प्रधान हैं। डीएन मणि की पहचान समाज सेवा से है।
35 हजार मतदाताओं वाले इस वार्ड में भीषण जंग चल रही है। सभी उम्मीदवार आर्थिक रूप से सम्पन्न और संसाधनों से लैस हैं। इसलिए वह एक एक मतदाता को ध्यान में रख कर अपनी रणनीति पर अमल कर रहे हैं।
मतदाता भी असमंजस में हैं। सारे उम्मीदवारों के दावे अपनी अपनी जीत के हैं। उनकी दलीलें भी ठोस हैं। इसलिए मतदाता अभी तक भ्रमित है। फिर भी मोटे तौर पर लड़ाई कांटे की दिख रही है।
जानकारों का कहना है कि चुनाव सात अक्टूूबर से जोर पकड़ेगा। दो दिन पहले कई उम्मीदवारों की थैलियों का मुंह खुलेगा। कदाचार की रणनीति पर अमल होना शुरू होगा, तो मतदाता भी मुखर होना शुरू करेगा। अभी तो उम्मीदवार दौड़ दौड़ कर हांफ रहे हैं और वोटर भी तू डाल डाल-मै पात पात की कहावत पर अमल कर रहा है।
इस वार्ड में रिश्तों के बीच भी जंग है। मनोज सिंह और अरविंद की मित्रता जगजाहिर है तो के.एम. लाल और संतोष श्रीवास्तव आपस में साले बहनोई हैं। पप्पू भिखारी और रविनदर भी लंगोटिया यार हैं। चुनाव में हार जीत किसी की भी हो, मगर नतीजे के बाद उनके रिश्तों की डोर कमजोर हो जाए तो तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।