अनुसूचित के लिए रिजर्व हुई जिला पंचायत, टूट गये बहुतों के सपने

September 24, 2015 8:15 AM0 commentsViews: 390
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नजीर मलिक

zilapanchayat111
सिद्धार्थनगर जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व कर दिया गया है। सरकार का यह फैसला, अघ्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की हसरत पाले सामान्य व पिछड़ी जाति के कई नेताओं के लिए तगड़ा झटका है। दूसरी तरफ इस पद के इच्छुक एससी वर्ग के नेताओं के लिए यह चुनावदार मलाईदार साबित होने जा रहा है।

कपिलवस्तु पोस्ट को खास जानकारी मिली है कि जिला पंचायत सिद्धार्थनगर का अध्यक्ष पद एससी के लिए रिजर्व कर दिया गया है। यह समाजवादी पार्टी के ताकतवर नेता राम कुमार उर्फ चिनकू यादव के लिए करारा झटका है। उनकी पत्नी पूजा यादव वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

चिनकू यादव को पूरी उम्मीद थी कि इस बार भी यह पद पिछड़ा वर्ग अथवा सामान्य होगा। दोनों ही हालात में उनकी पत्नी के चुनाव लड़ने का मौका था। लेकिन सरकार के इस फैसले से उनके अरमान धूल में मिल गये। कई जानकारों का मानना है कि चिनकू यादव के बढ़ते कद को छांटने के लिए बड़े स्तर पर साजिश की गई है।

केवल चिनकू यादव ही नहीं, भाजपा नेता व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष साधना चौधरी, सपा के वरिष्ठ नेता और दो बार जिला पंचायत अघ्यक्ष रहे मुहम्मद सईद भ्रमर भी इस पद के लिए तैयारी में थे। लेकिन अब उनके लिए भी रास्ते बंद हो चुके हैं।

इसके अलावा डुमरियागंज विधायक मलिक कमाल यूसुफ के पुत्र इरफान मलिक, पूर्व विधायक स्व मलिक तौफीक अहमद के भाई चिन्ने मलिक, इटवा के बसपा नेता इसरार अहमद आदि भी मौके का फायदा उठाने की ताक में थे। अब उनके लिए जिला पंचायत चुनाव महत्वहीन हो गये हैं।

केवल नेता ही नहीं जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले अनेक लोग इससे निराश हैं। दरअसल सामान्य सीट होने पर चुनाव में तमाम सदस्य प्रत्याशियों से भारी लेन देन करते हैं। उनका मानना है कि अनुसूचित जाति के प्रत्याशी से बहुत आवाभगत की उम्मीद नहीं रहती है।

दूसरी तरफ अध्यक्ष पद रिजर्व होना एससी नेताओं के लिए सुखद है। सदर क्षेत्र के सत्ता पक्ष के विधायक विजय पासवान के अलावा भाजपा नेता कन्हैया पासवान और बढ़नी के प्रदीप पथरकट इस पद के लिए दावेदार है। अब इनका रास्ता साफ है।
हालांकि अभी तक इसकी शासकीय सूचना जिले पर नहीं आई है, लेकिन राजधानी में दखल रखने वालों की सूचना सटीक हैं। इसी आधार पर एससी नेताओं ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। जाहिर है कि इस पद की मलाई पहली बार दलितों के खाते में जाने वाली है।

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