बसपा के टिकट वितरण से भाजपा की जमीन खिसकने की आशंका
बसपा के टिकट वितरण से तीन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के समीकरण गड़बड़ाने की आशंका, इस बार सपा राहत में
पहले बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी सपा की हार का कारण बनते थे, अब बसपा के सवर्ण प्रत्याशी भाजपा के लिए बनेंगे कारण
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। चुनाव सर पर है। सभी राजनीतिक दल टिकट के लिए दौड़ लगाने के साथ साथ अपने चुनाव क्षेत्र में भी दौड़ भाग कर रहे हैं। जिले का राजनीतिक पारा बहुत गर्म है, मगर बहुजन समाज पार्टी के खेमे का तापमान बहुत सर्द है। उनके अधिकतर नेता भी अभी तक शिथिलता की रजाई से बाहर नहीं निकल पा रहे। जिले की दो विधानसभा क्षेत्रों में कौन उम्मीदवार बन सकता है, इसकी कहीं चर्चा भी नहीं। दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जिन तीन विधानसभा में बसपा ने पूर्व भाजपा नेताओं को टिकट दिया है, उससे जिले में भाजपा की जमीन खिसक सकती है।
बता दें कि विघानसभा क्षेत्र डुमरियागंज व इटवा से बसपा ने अपना प्रत्याशी तय कर रखा है। डुमरियागंज से अशोक कुमार त्रिपाठी और इटवा से हरिशंकर सिंह तथा शोहरतगढ़ से राधा रमण त्रिपाठी बसपा के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। तीनों ही प्रत्याशी भाजपा से बसपा में आये हैं। हरिशंकर सिंह तो एक बार इटवा से भाजपा के प्रत्याशी भी रह चुके हैं, जबकि अशोक त्रिपाठी भाजपा के पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी के भाई हैं तथा राधारमण भाजपा के बड़े नेता रहे हैं। परन्तु शेष दो विधानसभा सीटों बांसी व कपिलवस्तु से अभी तक टिकट का कोई दावेदार चेहरा सामने नहीं आ सका है।
जिले की पांच मे से दो सीटों पर बसपा जैसी बड़ी पार्टी से कोई नेता टिकट की दावेदारी ही न करे तो यह बात चिंताजनक हो जाती है। जाहिर है कि इस सीट से कोई ऐसा चेहरा लड़ने को तैयार नहीं है जो लाखों की रकम खर्च कर बसपा से टिकट लेकर आये। इस बारे में बसपा से चुनाव लड़ चुके एक नेता का कहना है कि इस बार बसपा की कोई पूछ नहीं है। उसे चुनाव में 25 सीटें भी मिलने की संभावना नहीं है। ऐसे में 50 लाख रूपये खर्च कर टिकट लेने की मूर्खता कौन करेगा।
यहां यह गौरतलब है कि पहले डुमरियागंज, इटवा व शोहरतगढ़ सीटों से तीन प्रभावशाली मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव लड़ा करते थे, जिससे अक्सर उनके न जीत पाने की दशा में समाजवादी पार्टी की पराजय सुनिश्चित हो जाती थी। मगर इस बार मुसलमान प्रत्याशियों ने बसपा को त्याग दिया। उनकी जगह पर भाजपा के आयातित ब्रह्मण व राजपूत उम्मीदवार आ गये। इसलिए यहां के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार मामला उल्टा हो और भाजपा के लिए वहीं परिस्थितियां पैदा हो सकती है जो कभी सपा के लिए हो जाया करती थी। यही कारण है इस बार विश्लेषक जिले की चार सीटों पर दुबारा लौट पाना भाजपा के लिए बेहद कठिन मान रहे हैं।