काशǃ दस मिनट के लिए थम जाती नींद की झपकी, तो ठहर जाता सात मौतों का सफर
अच्छे चालक रात दो बजे से तीन बजे के बीच भूल कर नहीं करते सफर, क्योंकि इसी बीच आदमी को सताती है सबसे गहरी नींद
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। एक झपकी हमेशा के लिए सात लोगों मौत की नींद सुला ले देगी, यह किसी ने सोंचा भी नहीं था। हादसे में सात की जान चली गई तो वहीं, चार अभी भी जिदंगी के लिए जंग लड़ रहे हैं। बांसी-बस्ती एनएच पर स्थित कटया- सोनवल गांव के पाए हुए खूनी हादसे को देखने के बाद राह से गुजरने वाले हर व्यक्ति का रूकने पर विवश कर दे रहा था। वहीं, हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोग पूरे दिन चर्चा करते रहे। उनका कहना था कि घटना के समय वे अपने घर से मात्र दस किमी ही दूर रह गये थे। ऐसे में सभी गहरी सांसों के बीच कहते हैं कि “काश, चालक की झपकी दस मिनट केलिए गायब हो जाती तो सात जिंदगियों का अंतिम सफर भी ठहर जाता।
सुबह घटना पर मौजूद कटया और सोनवल गांव के वह कुछ ग्रामीण यह कहते दिखे की हादसे का कारण नींद की झपकी है, क्योंकि जब पुलिस रात में घटना स्थल पर पहुंचकर घायलों को बाहर निकाल रही थी। तो उसमें एक युवक जिसे थोड़ी कम चोट आई थी। वह बार- बार यहीं कर रहा था। बोलेरो में सवार सभी लोगों को नींद आ रही थी। गाड़ी रोक कर मुंह धुलने की बात हुई, मगर चालक ने ध्यान न दिया। फलस्वरूप नींद में आई झपकी और जल्द घर पहुंचने की कोशिश में यह हादसा घटित हो गया।
मौके पर मौजूद गांव वालों की जुबान पर भी यही लफ्ज रक्स कर रहा था कि जल्दबाजी और नींद के कारण ही यह हादसा हुआ, क्योंकि ट्रेलर तो सड़क के किनारे खड़ा था और सड़क भी रात में खाली थी। ऐसे में बोलेरों का पीछे से आकर ट्रेलर में घुस जाना, नींद आने पर ही मुमकिन हो सकता है। साफ कहा जाएं तो बस एक झपकी ने सात जिंदगियों को मौत के आगोश में ले लिया और सभी पलकों की झपकी में इस प्रकार फंसे कि बच पाना तो दूर उनकी चीखें तक नहीं निकल सकीं। घटना स्थल पर सुबह मौजूद रहे रामराज का कहना था कि रात के दो बजे का समय अक्सर गहरी नींद का समय होता है। इस समय वाहन चालक की जरा सी लापरवाही भारी पड़ जाती है। पेशे से वहन चालक रामराज का कहना था कि अच्छे चालक अक्सर रात से दो और तीन बजे वाहन रोक कर आराम करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।
शवों को निकाले में लगा आधा घंटा
रफ्तार तेज होने के कारण बोलेरो ट्रेलर में पीछे से जिस प्रकार से घुसी है। उससे देखकर यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल था गति कितनी तेज रही होगी, क्योंकि टे्रलर के पीछे का लोहे का इंगल तोड़ते हुए तीन से चार फिट अंदर घुस गई थी और उसका ढांचा ही तबाह हो गया था। पहले पुलिस कर्मियों ने शव को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन जब सफल नहीं हुए तो क्रेन से गाड़ी को बाहर खिंचवाया। आधा घंटे कड़ी मश्क्कत के बाद किसी तरह पार्ट तोड़कर शव को बाहर निकाला गया। खून और क्षत विक्षत चेहरे देखने के बाद गांव के लोग पीछे हट गये। पुलिस कर्मियों ने बड़ी मश्क्कत के बाद एक-एक करके चार लोगों के शव को बाहर निकाला। इसके बाद उन्हें पोस्टमार्टम हाउस भेजवाया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जोगिया कोतवाली पुलिस ने हादसे में बड़ी तत्परता दिखाई। एसएसबी जवानों ने पुलिस को सूचना दी तो जोगिया के प्रभारी कोतवाल राजेश कुमार शुक्ल टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो स्थानीय लोग जान बचाने में जुटे थे। वहीं, जोगिया पुलिस के पहुंचने के कुछ ही देर बाद सदर थाने से भी पुलिस टीम पहुंच गई थी।
एसपी ने ली जानकारी व हादसे के बाद पहुंचने लगे नेता
हादसे की जानकारी मिलने के बाद जिला अस्पताल पर नेताओं की भीड़ लगने लगी। दोपहर में सदर विधायक श्यामधनी राही के प्रतिनिधि सत्यप्रकाश राही, सांसद प्रतिनिधि सूर्यप्रकाश पांडेय सहित अन्य नेता अस्पताल पहुंचे। वहीं, पोस्टमार्टम हाउस पर सांसद जगदंबिका पाल, शोहरतगढ़ से विधायक विनय वर्मा के प्रतिनिधि भी मौके पर मौजूद रहे।
दूसरी तरफ एसपी डॉ. यशवीर सिंह सुबह लगभग आठ बजे जिला अस्पताल पहुंचे, यहां पर घायल शुभम और उसके परिवार के लोगों ने मिले। उनका हाल जाना और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके घटना स्थल पर कटया गांव पहुंचे। यहां घटना स्थल का जायजा लिया। इसके बाद सड़क पर क्षतिग्रस्त पड़ी बोलेरो को क्रेन से तत्काल हटवाया।