exclusive- नब्बे साल की उम्र में भी अकलियतों की शिक्षा के लिए जंग लड़ रहे डा. बारी खान

March 18, 2018 1:08 PM0 commentsViews: 443
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सगीर ए खाकसार

वो उम्र के नवें दशक में प्रवेश कर चुके हैं।लेकिन न थके हैं और न ठहरे हैं।आज भी नियमित सभी शिक्षण संस्थानो की निगरानी दिन भर करते हैं।शिक्षा के ज़रिए वो समाज और देश मे ब्यापक बदलाव के पक्षधर हैं।उनका मानना है कि खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा है।जब व्यक्ति शिक्षित होगा तभी आत्म निर्भर होगा,देश आगे बढ़ेगा।उन्होंने जिला सिद्धार्थ नगर में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की है ।जिसमें गर्ल्स कॉलेज, तकनीकी शिक्षा केन्द्र, इंटर कालेज, पब्लिक स्कूल और अनाथालयों तक की स्थापना शामिल हैं

जी हां! हम बात कर रहे हैं , शिक्षा जगत की एक बड़ी शख्सियत  डॉ अब्दुल बारी खान की।जिनके जीवन का मात्र एक उद्देश्य शिक्षा को जन जन तक पहुंचाना है।उन्होंने इस निमित्त अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है।

पड़ोसी जिला बलरामपुर के एक छोटे से गांव, सिखुइया ( बौडीहार) में डॉ अब्दुल बारी खान का जन्म 19 नवंबर 1936 को हुआ था। अब सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज टाउन के निवासी हैं।उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा गांव में ही स्थित मदरसा जामिया सिराजुल उलूम ,बौडीहार में पाई।इसके अलावा दारुल हदीस रहमानिया दिल्ली,जामिया रहमानिया बनारस में पाई।1958 में उन्होंने तिब्बिया कालेज से बीयूएमएस किया।पेशे से चिकित्सक डॉ खान ने तालीम के ज़रिए समाज मे ब्याप्त कुरीतियों और पिछड़े पन को दूर करने का बीड़ा उठाया और अपने  मकसद को हासिल करने के लिए पूरे जिले में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की।

डॉ अब्दुल बारी खान को बहुत पहले ही इस बात का इल्म हो गया था कि पढ़ी लिखी लड़की , रौशनी है घर की।इसलिए लड़कियों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की मकसद से 1984 में डुमरिया गंज में गर्ल्स कॉलेज की स्थापना की। जिसकी शुरुआत महज दो कमरों से हुई थी।आज बड़ा भवन है और सारी सुविधाएं।बड़ी तादाद में बालिकाएं शिक्षा हासिल कर रही हैं।उसके दो वर्षों के बाद 1986 में जिले के डुमरिया गंज में उन्होंने अपने मानवीय मूल्यों और संवेदनशीलता का परिचय देते हुए एक अनाथालय की स्थापना की।उन यतीम और गरीब बच्चों की सुधि ली जिन्हें शिक्षा तो दूर की बात दो वक्त की रोटी और कपड़ा भी मयस्सर नहीं होता है।फिलवक्त अनाथालय में करीब डेढ़ हजार बच्चों का भरण पोषण हो रहा है।उन्हें शिक्षा मिल रही है।फिलवक्त पूर्वांचल का सबसे बड़ा अनाथालय है।

डॉ खान बहुत ही दूरदर्शी शख्सियत के मालिक हैं। उन्हें पता है कि आने वाला दौर ज्ञान और तकनीक का होगा ।जिनके पास जितना ज्ञान और विकसित तकनीक होगा। वह देश और समाज उतना ही उन्नति करेगा।अपने इसी सपने को साकार करने के उद्देश्य से उन्होंने 1995 में खैर टेक्निकल सेंटर की स्थापना की थी।जिसमें मिनी आईटीआई के ज़रिए सिलाई,कढ़ाई,कम्प्यूटर, इलेक्ट्रिशियन, फिटर, आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।बड़ी तादाद में युवा यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना जीवकोपार्जन कर रहे हैं। तकनीकी केंद्र खैर टेक्निकल सेंटर युवाओं को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में  महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

डॉ अब्दुल बारी खान कहते हैं तकनीकी शिक्षा कुशल जनशक्ति का सृजन कर औद्योगिक  उत्पादन को बढ़ाकर देश को उन्नति की मार्ग पर ले जाएगा।डॉ खान कहते हैं शिक्षा के जरिये समाज मे ब्याप्त कुरीतियों को दूर किया जासकता है।वही देश और समाज तेज़ी से आगे बढ़े जिन्होंने समय रहते शिक्षा के महत्व को समझा।अपने जिले की साक्षरता दर करीब 67.18  है।उच्च और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता है।

सोशल एक्टिविस्ट अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि शिक्षा सबको मिलनी चाहिए।यह व्यक्तित्व का निर्माण तो करता ही है इंसान को विवेक शील और दक्ष भी बनाता है।पेशे से शिक्षक दिनेश मिस्र महात्मा गांधी को उद्धरित करते हुए कहते हैं कि “जैसे सूर्य सबको एक सा प्रकाश देता है,बरसात सब के लिए बरसती है,उसी तरह विधा वृष्टि सब पर बराबर होनी चाहिए।

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