डुमरियागंज सीटः बकौल मिर्जा गालिब, इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है

May 3, 2024 12:28 PM0 commentsViews: 985
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। उर्दू शायरी के सबसे चमकदार सितारे मिर्जा गालिब का एक शेर याद आ रहा है।

‘देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है’

मिर्जा ग़ालिब के उपरोक्त शेर को पढ़ कर अंदाजा लगा सकते हैं कि वह हर गुजरते हुए बरस में बिरहमनों (ब्राह्मणों) से नये साल के बारे जानने की उत्सुकता मे विप्र महाराज के पंचांग पर भी भरोसा दिखाया करते थें। यह प्रतीक था कौमी एकता का। मिर्जा गालिब का यह वह जमाना था जब हर भारतवासी देश में प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ रहा था। तब जनता गोरे निजाम से त्रस्त थी और अब कम्युनल निजाम से परेशान है। लिहाजा 1857 वाली उत्सुकता आज के दौर में डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र के मुसलमानों मे ब्राम्हणों को लेकर है। वे पूछते और समझते भी हैं कि, ‘क्या अब कुशल ही कुशल रहेगा, क्या फिर कोई बिरहमन अच्छे संसदीय साल की सूचना देने के लिए डुमरियागंज में आ गया है?”

अब इसे अखिलेश यादव की दूरदर्शिता कहें या गठबंधन की रणनीति? जो भी हो मगर समाजवादी पार्टी ने इंडिया अलायंस ने यह से इक बिरहमन (कुशल तिवारी) को उतार कर डुमरियागंज सीट को बेहद रोमांचक मुकाबले के रुप परिवर्तित कर दिया है। इसी के साथ मिर्जा गालिब के लिखे अनुसार मुस्लिम बिरहमन (ब्राह्मण) एकता की बात एक बार फिर सुखियों में आ गई है। इससे मौजूदा राजनीतिक विमर्श में सियासी पंडितों को चौकाने वाला सामाजिक समीकरण दिखाई दे रहा है कि अरसे बाद ब्राम्हण-मुस्लिम एकीकरण भले ही चुनावी बहाने क्यों न हो! कम से कम जमीन पर दिखाई तो दे रही है।

एक जमाना था जब मुसलमान और ब्राह्मण मिल कर कांग्रेस की ताकत बना करते थे। बीच में यह राजनीतिक एक ध्वस्त सी हो गई थी। पिछले चार दशकों से कांग्रेस के लोप होने के पश्चात गैर कांग्रेसी दलों ने सबसे अधिक दरार इन्हीं दोनों समुदायों मे डाला। युवा इस बात को अपने परिवार के बुजुर्गो से जान समझ सकते हैं। इसी के साथ अखिलेश और राहुल के इस दौर में डुमरियागंज संसदीय सीट पर दोनों समुदाय के जुड़ने की शुरुआत हो चुकी है बशर्ते गठबंधन उम्मीदवार कुशल तिवारी चुनाव जीत जायें। यदि ऐसा हुआ तो डुमरियागंज के इतिहास में ब्राम्हण-मुस्लिम एकता की इक नयी इबारत तो तारीख मे दर्ज हो ही जाएगी और इसी के साथ गलिब की यह लाइने कि “इक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है” बिलकुल सार्थक हो जायेंगी।

 

 

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