मदरसा बोर्ड पर अखिलेश सरकार के रवैये से मुसलमान खफा, पड़ सकता है चुनाव पर असर

March 3, 2016 12:12 PM1 commentViews: 1171
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नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। समाजवादी पार्टी के शासन में मदरसा बोर्ड की परीक्षा राजकीय इंटर कालेजों में कराये जाने के फैसले की मुस्लिम क्षेत्रों में सख्त आलोचना हो रही है। इसका असर आगीमी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं।

अलोचना करने वालों का कहना साफ है कि मदरसे की लड़कियां पर्दे में रहती हैं। आम परीक्षा केन्द्रों पर उनके लिए बेपर्दा होने जैसी मुश्किलें हैं। अखिलेश सरकार ने इतना अव्यवहारिक फैसला लेकर करोड़ों मुसलमानों में बेचैनी पैदा कर दिया है।

इटवा विधानसभा के बसपा प्रभारी अरशद खान ने इसे बेहद अफसोसनाक बताते हुए कहा है कि सरकारी आदेश में राजकीय इंटर कालेजों को परीक्षा केन्द्र बनाने की बात कही है। क्या सरकार को पता नही है केन्या इंटर कालेज अभी तक तहसील स्तर पर भी नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि इटवा में राजकीय कालेज नहीं हैं, फिर तो इस इलाके की ल़डकियां परीक्षा देने डुमरियागंज या बांसी जाने को मजबूर होंगी। यह बहुत मुश्किलों का बायस बनेगा। इसलिए सरकार को अपना फरमान फौरन वापस लेना चाहिए।

एआईएमआईएम के पूर्वांचल प्रभारी अली अहमद भी इस फैसले को बेहद शर्मनाक बताते हैं। उनका कहना है कि अखिलेश के इस फैसले से उनके सेक्युलरिज्म की पोल खुल गई है। उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला बदला नहीं गया तो एमिम इसके खिलाफ संघर्ष करेगी।

एमिम प्रभारी ने कहा कि माध्यमिक बोर्ड में ल़डकियों के लिए सेल्फ सेंटर तक की व्यवस्था है फिर मदरसा बोर्ड के लिए अलग नियम क्यों बनाया गया। उन्होंने कहा कि मुसलमान इसका हिसाब आने वाले विधानसभा चुनाव में जरूर करेंगे।

बांसी के समाजसेवी शमीम अहमद का कहना है अखिलेश सरकार के इस फैसले से मुसलमानों में बेहद गुस्सा है। मदरसा शिक्षकों ने तो परीक्षा के बायकाट का फैसला ले ही लिया है। जल्द ही वह मुसलमानों के बीच जा कर इस मुदृदे पर आंदोलन तैयारी भी करेंगे। यही नही मुसलमान आने वाले चुनाव में सपा के खिलाफ वोट भी पोल करेंगे।

 

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