मेस की आमदनी को लेकर मेडिकल कालेज के दो बाबुओं में दिन दहाड़े हाथापाई, प्रचार्य ने किया बीच-बचाव

December 12, 2023 12:32 PM0 commentsViews: 587
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मेडिकल छात्रों के मेस को लेकर हुआ विवाद, दुखी होकर क्रमवार मेस को छोड़ रहे छात्र, प्राचार्य ने कहा कि पूछ-ताछ के बाद होगी अगली कार्रवाई

नजीर मलिक

झगड़े के बाद दोनों  लिपिकों को डांटते प्रचाार्य

सिद्धार्थनगर। मेस के चार्ज को लेकर स्थानीय एमपीटी मेडिकल कॉलेज में दो बाबूओं में भिड़ंत और हाथापाई का मामला सामने अया है। मारपीट का मामला और गंभीर होता कि शोर होने पर  मडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. ए.के. झा ने मौके पर पहुंचकर बीच बचाव किया। इस घटना से मेडिकल कॉलेज में मेस की व्यवस्था को लेकर दबी हुई खींचतान उभरकर सामने आ गई है। यह घटना समूचे मेडिकल परिसर में चर्चा का विषय बनी हुई है और इसकी तह में कमीशनखोरी को लेकर बातें की जा रही हैं।

क्या है पूरी घटना

बताया जाता है कि मेडिकल कॉलेज के जिला अस्पताल में लिपिक अरविंद सिंह और आउटसोर्स एजेंसी में कार्यरत एवं बाबू का कार्य करने वाले अभिलाष श्रीवास्तव के बीच हाथापाई होने का शोर सुन कर चेम्बर में बैठे प्राचार्य डॉ. ए.के. झा सहित अन्य फैकल्टी डॉक्टर भी मौके पर पहुंच गए। मेस को लेकर दोनों को लड़ते देख प्राचार्य ने बीच बचाव करते हुए दोनों बाबुओं को डांटा। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में 300 छात्र-छात्राओं के लिए संचालित मेस के लिए यह विवाद हुआ है।

बताया गया है कि मेडिकल कॉलेज के मेस का चार्ज आउटसोर्स कर्मी अभिलाष श्रीवास्तव देख रहे थे। दो दिन पहले मेस का चार्ज आउटसोर्स कर्मी दीप नरायन पांडेय को दे दिया गया। इस बात को लेकर सोमवार को माहौल गर्म था और सुबह से ही एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी था। दोपहर को एक बिल पर हस्ताक्षर को लेकर बात बढ़ी तो दोनों बाबू आपस में भिड़ गए।

झगड़े का कारण क्या है

झगड़े के विषय में सूत्र बताते हैं कि सारा विवाद मेस की कमाई को लेकर है। हर कोई चााहता है कि मेस का आउटसोर्स बाबू उनका अपना हो।मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के 300 छात्र-छात्राओं के लिए मेस का संचालन किया जाता है, जिसमें सुबह शाम भोजन और नाश्ते के लिए 3,700 रुपये जमा किया जाता है। मेस की भोजन की गुणवत्ता खराब होने के कारण छात्र-छात्राएं मेस छोड़ रहे हैं। एक माह पहले मेडिकल कॉलेज की चार छात्राएं एक रेस्टोरेंट में पहुंची और टिफिन लेने की बात कर रहीं थीं, जबकि दो माह में 30 से अधिक छात्रों ने आवेदन देकर मेस का भोजन लेना बंद कर दिया है। एक फैकल्टी डॉक्टर ने बताया कि 80 छात्र-छात्राओं ने मेस का भोजन बंद कर दिया है, वे टिफिन के भरोसे दिन बिता रहे हैं। बताते हैं कि मेस की ठेकेदारी प्रथा में काफी कमीशनबाजी होती है। इसकी कमाई को लेकर आपस में ठनी रहती है।

समिति चलाये मेस- मेडिकल छात्र

इस बारे में मडिकल छात्रों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट मेस चलता है ठकेदारी प्रथा के कारण भोजन की गुणवत्ता खराब रहती है। ऐसे में वार्डन की देख-रेख में छात्र-छात्राओं की समिति के माध्यम से मेस चलाया जाना चाहिए। इसमें समिति के माध्यम से मीनू तय करने के साथ गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए, ताकि कोई विवाद न हो तथा भोजन की गुणवत्ता ठीक रहे। कहते हैं कि कमीशनखोरी के चलते कई बार भोजन में चावल में कीड़े तक मिलने की खबरें सामने आई हैं।

मेडिकल कालेज प्रचाार्य ने कहा

मार पीट की घटना से इंकार करते हुए  मकिल कालेज के प्रभारी प्रचार्य डा. ए.के. झा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में विभागीय और आउटसोर्स लिपिक के बीच बहस हो गई थी। शोर सुनकर मैं मौके पर गया तो दोनों को डांट कर समझा दिया। इस मामले में दोनों पक्षों से पूछ ताछ होगी और आगे की कारवाई सुनिश्चित की जाएगी।

 

 

 

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