काली पट्टी बांध कर अदा की ईद की नमाज और जताया मासूमों के कत्ल पर विरोध

June 27, 2017 3:55 PM0 commentsViews: 96
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दो विधायकों की प्रतिष्ठा दांIdd-ki-namaz-kali-patti-kr-sath-sdr

नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। मुल्क में बड़े बड़े दंगे हुए। मुस्लिम पर तमाम दमन हुए। गुजरात जैसे कत्ले आम हुए, मगर मुसलमानों ने कभी ईद के दिकाली पट्टी बांध कर अदा की ईद की नमाज और जताया मासूमों के कत्ल पर विरोध न कोई एहतेजाज या विरोध प्रदर्शन नहीं किया। आजादी के बाद यह पहला मौका थी कि देश भर के मुसलमानों ने पूरे मुल्क में हाथ में काली पट्टी बांध कर ईद की नमाज अदा की। इस संदर्भ में सिद्धार्थनगर भी पीछे न रहा।
कल सिद्धार्थनगर की ईदगाहIdd-ki-namaz-kali-patti-kr-sath-sdr
काली पट्टी बांध कर अदा की ईद की नमाज और जताया मासूमों के कत्ल पर विरोध
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। मुल्क में बड़े बड़े दंगे हुए। मुस्लिम पर तमाम दमन हुए। गुजरात जैसे कत्ले आम हुए, मगर मुसलमानों ने कभी ईद के दिन कोई एहतेजाज या विरोध प्रदर्शन नहीं किया। आजादी के बाद यह पहला मौका थी कि देश भर के मुसलमानों ने पूरे मुल्क में हाथ में काली पट्टी बांध कर ईद की नमाज अदा की। इस संदर्भ में सिद्धार्थनगर भी पीछे न रहा।
कल सिद्धार्थनगर की ईदगाह सहित डुमरियागंज, इटवा, बढ़नी, शोहरतगढ़ सहित तमामगांव कस्बों की ईदगाहों में नमाजियों के हाथों में काली पट्टी बंधी थी। सबके चेहरे पर गम और गुस्से की लकीरें थीं, फिर भी उन्होंने बड़े खमोशी के साथ ईद की नमाज अदा की और मस्जिदों में भीड़ द्धारा शहीद किये गये अपने भाइयों के हक में भी दुआएं मांगी।
सबसे अच्छी बात यह थी कि कि इस खामोश एहतजाज के पीछे न कोई मुस्लिम संगठन थी न ही कोई सियासी दल।बस सोशल मीडिया पर कुछ नौजवानों ने इसकी अपील की और मुसलमानों ने इसे दिल पर ले लिया। निसार बागी कहते हैं कि फिरका परस्त ताकतों का झूंड जिस प्रकार से सड़कों और सार्वजानिक नमाज स्थानों पर मुसलमान के खिलाफ हिंसा फैला रहा है यह गुस्सा उसके खिलाफ है। इटवा के शब्बीर खान ने कहा कि अब मुसमानों को सियासी दलों पर भरोसा नहीं रह गया है। मुसलमानों के गुस्सा इस बात का सबूत है कि आने वाले दिनों में लोग सियासदानों पर भरोसा करना छोड़ देंगे। तो सलमान अहमद कहते हैं कि इस गैर राजनीतिक एहतेजाज को सरकार नहीं समझेगी तो आगे और बड़ा राजनीतिक आंदोलन संभव है।
बताते चलें कि हाल के दिनों में मुसलमानों पर अकारण हमलों की बाढ़ आ गई है। ईद से पूर्व दिल्ली केरीब खांदी वाली में ट्रन में बैठे मुस्लिम लड़कों पर हमला करएक की जान ले ली गई। इसी प्रकार राजस्थान, यूपी, झारखंड आदि भाजपा शासित प्रदेशों में इस प्रकार के हमले हुए हैं। इससे मुसमानों में काफी गुस्सा है।
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काली पट्टी बांध कर अदा की ईद की और जताया मासूमों के कत्ल पर विरोध
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। मुल्क में बड़े बड़े दंगे हुए। मुस्लिम पर तमाम दमन हुए। गुजरात जैसे कत्ले आम हुए, मगर मुसलमानों ने कभी ईद के दिन कोई एहतेजाज या विरोध प्रदर्शन नहीं किया। आजादी के बाद यह पहला मौका थी कि देश भर के मुसलमानों ने पूरे मुल्क में हाथ में काली पट्टी बांध कर ईद की नमाज अदा की। इस संदर्भ में सिद्धार्थनगर भी पीछे न रहा।
कल सिद्धार्थनगर की ईदगाह सहित डुमरियागंज, इटवा, बढ़नी, शोहरतगढ़ सहित तमामगांव कस्बों की ईदगाहों में नमाजियों के हाथों में काली पट्टी बंधी थी। सबके चेहरे पर गम और गुस्से की लकीरें थीं, फिर भी उन्होंने बड़े खमोशी के साथ ईद की नमाज अदा की और मस्जिदों में भीड़ द्धारा शहीद किये गये अपने भाइयों के हक में भी दुआएं मांगी।
सबसे अच्छी बात यह थी कि कि इस खामोश एहतजाज के पीछे न कोई मुस्लिम संगठन थी न ही कोई सियासी दल।बस सोशल मीडिया पर कुछ नौजवानों ने इसकी अपील की और मुसलमानों ने इसे दिल पर ले लिया। निसार बागी कहते हैं कि फिरका परस्त ताकतों का झूंड जिस प्रकार से सड़कों और सार्वजानिक स्थानों पर मुसलमान के खिलाफ हिंसा फैला रहा है यह गुस्सा उसके खिलाफ है। इटवा के शब्बीर खान ने कहा कि अब मुसमानों को सियासी दलों पर भरोसा नहीं रह गया है। मुसलमानों के गुस्सा इस बात का सबूत है कि आने वाले दिनों में लोग सियासदानों पर भरोसा करना छोड़ देंगे। तो सलमान अहमद कहते हैं कि इस गैर राजनीतिक एहतेजाज को सरकार नहीं समझेगी तो आगे और बड़ा राजनीतिक आंदोलन संभव है।
बताते चलें कि हाल के दिनों में मुसलमानों पर अकारण हमलों की बाढ़ आ गई है। ईद से पूर्व दिल्ली केरीब खांदी वाली में ट्रन में बैठे मुस्लिम लड़कों पर हमला करएक की जान ले ली गई। इसी प्रकार राजस्थान, यूपी, झारखंड आदि भाजपा शासित प्रदेशों में इस प्रकार के हमले हुए हैं। इससे मुसमानों में काफी गुस्सा है।
सहित डुमरियागंज, इटवा, बढ़नी, शोहरतगढ़ सहित तमामगांव कस्बों की ईदगाहों में नमाजियों के हाथों में काली पट्टी बंधी थी। सबके चेहरे पर गम और गुस्से की लकीरें थीं, फिर भी उन्होंने बड़े खमोशी के साथ ईद की नमाज अदा की और मस्जिदों में भीड़ द्धारा शहीद किये गये अपने भाइयों के हक में भी दुआएं मांगी।
सबसे अच्छी बात यह थी कि कि इस खामोश एहतजाज के पीछे न कोई मुस्लिम संगठन थी न ही कोई सियासी दल।बस सोशल मीडिया पर कुछ नौजवानों ने इसकी अपील की और मुसलमानों ने इसे दिल पर ले लिया। निसार बागी कहते हैं कि फिरका परस्त ताकतों का झूंड जिस प्रकार से सड़कों और सार्वजानिक स्थानों पर मुसलमान के खिलाफ हिंसा फैला रहा है यह गुस्सा उसके खिलाफ है। इटवा के शब्बीर खान ने कहा कि अब मुसमानों को सियासी दलों पर भरोसा नहीं रह गया है। मुसलमानों के गुस्सा इस बात का सबूत है कि आने वाले दिनों में लोग सियासदानों पर भरोसा करना छोड़ देंगे। तो सलमान अहमद कहते हैं कि इस गैर राजनीतिक एहतेजाज को सरकार नहीं समझेगी तो आगे और बड़ा राजनीतिक आंदोलन संभव है।
बताते चलें कि हाल के दिनों में मुसलमानों पर अकारण हमलों की बाढ़ आ गई है। ईद से पूर्व दिल्ली केरीब खांदी वाली में ट्रन में बैठे मुस्लिम लड़कों पर हमला करएक की जान ले ली गई। इसी प्रकार राजस्थान, यूपी, झारखंड आदि भाजपा शासित प्रदेशों में इस प्रकार के हमले हुए हैं। इससे मुसमानों में काफी गुस्सा है।
व पर
भाजपा जिला अध्यक्ष ने इस सीट से रामपाल सिंह कर नामांकन कराया था। लेकिन शोहरतगढ विधायक अमर सिंह और सदर विधायक श्यामधनी राही शिवचन्द्र के समर्थक थे। माना जाता है किइन्हीं दोनों विधायकों के विरोध के कारण रामपाल का पर्चा वापस करा कर शिवचन्द्र को प्रत्यशी घोषित किया गया। दोनों विधायक क्षेत्र में शिवचन्द्र के लिए वोट मांग रहे हैं। अगर वह चुनाव नहीं जीते तो विधायकों की

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