जमील सिद्धीकी को पुराने घर में लौटने की मिली हरी झंडी? नपा के टिकट की भी संभावना
नजीर मलिक
सिद्धार्थनर। जिले में युवा मुस्लिम चेहरे के रुप में पहचान बनाने वाले सिद्धार्थनगर नगरपालिका अध्यक्ष और बसपा नेता जमील सिद्धीकी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के आसार नजर आ रहे हैं। सिद्दीकी का कैरियर सपा से ही शुरू हुआ था। वो एक वर्ष पहले बसपा में शामिल हुए थे और वे शोहरतगढ़ सीट से बसपा से चुनाव लड़ कर दसरे नम्बर पर रहे थे। उनके समर्थकों का दावा है कि वह शीघ्र ही अपने पुराने घर वापस लौट रहे हैं।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार बसपा नेता व नपा चेयरमैन जमील की सपा में वापसी लगभग तय हो गई है। वह हाल के दिनों में राजधानी में थे। उनके लखनऊ से लौटने के बाद उनके समर्थकों के चेहरे पर बिखरा उत्साह यह समझने के लिए काफी है, कि उन्हें अपना नया सियासी घरौंदा बनाने में कामयाबी मिलने वाली है। जमील सिद्धीकी की बाडी लैंग्वेज भी यही इशारा कर रही है।
सूत्रों की माने तो बुधवार को जमील सिद्दीकी अपने समर्थकों के साथ लखनऊ रवाना होंगे। वह बधवार या गुरुवार को वहां समर्थकों केसाथ समाजवादी पार्टी कर सदस्यता लेंगे करेंगे। हालांकि उन्हें पार्टी में लेने का कई नेता विरोध भी कर रहे हैं, मगर खबर के मुताबिक विरोधियों की बातें अनसुनी कर दी गई हैं और जमील को पार्टी में लेने का मन बना लिया गया है। हालांकि खुद जमील सिद्दीकी ऐसी किसी बात से इंकार करते हैं।
क्या है जमील का इतिहास ?
जमील सिद्दीकी छात्र जीवन में सामाजिक मसलों को लेकर एक संस्था के माध्यम से संघर्ष करते थे। परिपक्व होने पर उन्होंने सपा की सदस्यता हासिल की और सामाजिक सरोकारों से जुड़ गये । बाद में वह वरिष्ठ सपा नेता और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे के काफी करीबी हो गये। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी से नगरपालिका अध्यक्ष भी चुने गये। लेकिन ऐन चुनावों के वक्त शोहरतगढ क्षेत्र से टिकट की जंग को लेकर उनका सपा से मसेहभंग हो गया।
टिकट के मुद्दे पर मचे घमासान में के दौरान उन्होंने हालात को समझ कर समाजवादी पार्टी को अलविदा बोल दिया और बसपा मे शामिल होकर न केवल शोहरतगढ से बसपा के टिकट पर चुनाव लडा, बल्कि दूसरा स्थान भी हासिल किया। अभी हाल में बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिख दिया, तो फिर वह सपा से जुड़ने के प्रयास में लग गये।
जमील सिद्दीकी की प्रासंगिकता
सू़त्रों के अनुसार इस वक्त जिले में मुसलमानों के बीच कोई जनाधार वाला नेता नहीं रह गया है। सपा के दिग्गज मस्लिम नेता व पूर्व मंत्री कमाल यूसुफ अब बसपा में हैं।एक अन्य नेता व पूर्व विधायक/ जिला पंचायत अध्यक्ष सईद भ्रमर बुजुर्ग हो चुके हैं। इसके अलावा अन्य कोई मुस्लिम नेता सपा में नहीं है। जबकि जिले में मुसलमानों की आबाद का प्रतिशत 30 आसपास है।
जमील वापसी सपा के लिए फायदा
जमील का सपा में आना पार्टी के लिए काफी फायदा होगा। इसके पक्ष् में दलील देते हुए सपा नेता बताते हैं कि गत चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य बस्ती मंडल की 14 सीटों में सपा ने एक भी मुस्लिम चेहरा नही उतारा । अखिलेश यादव को अपनी इस गलती की समझ आ गयी है, लिहाजा अब जमील सिद्दीकी को तरजीह देने उनकी सियासी जरूरत बन गई है। लिहाला जमील सिद्दीकी सपा में आयेंगे।
राजनीति में कुछ भी हो सकता है- जमील सिद्दीकी
इस बारे में कपिलवस्तु पोस्ट के सवाल पर जमील सिद्दीकी ने मंझा हुआ जवाब दिया। उन्होंने सपा में शामिल होने के सवाल पर कहा कि घर से किसी बच्चे को बाहर कर दिया जाये तो इसका मतलब यह नहीं कि वह घर में ने घुस पाये। उन्होंने कहा कि कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा। उनके मुताबिक सच जल्द ही सामने आ जायेगा। उनके इस बयान से सच को समझा जा सकता है।