म्यांमार में मुस्लिमों के कत्ले आम और भारत सरकार की चुप्पी के खिलाफ AIMIM का जबरदस्त प्रदर्शन, ज्ञापन
––– मोदी सरकार चकमा आदिवासी, लंका के तमिल और पाकिस्तानी हिंदूओं की तरह रोहिंग्या को क्यों नहीं दे री शरण– अली अहमद
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। वर्मा में रोहिंग्या मुस्लिमों के कत्लेआम और भारत में उनको शरण न मिलने से नाराज आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (एमिम) की सिद्धार्थनगर नगर इकाई ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को ७ सूत्रीय ज्ञापन देकर रोहिंग्या के हितों की रक्षा की मांग की गई। सभा में चेतावनी भी दी गई कि प्रधानमत्री यदि इसी नीति पर चलते रहे तो तो देश को दुष्परिणाम भुगतने होंगे।
आज साढ़े १० बजे एमिम की अगुआई में हजारों का हुजूम नगरपालिका चौराहे पर इकठ्ठा हुआ। वहां से सभी लोगों ने बैनर, झंडे और प्लेकार्ड लेकर नगर के मुख्य भागों का भमण किया और रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में नारे लगाये और प्रशासन को सात सूत्रीय ज्ञापन दिया। जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों की मांगों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया।
इससे पूर्व नगरपालिका पर हुई सभा को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के संयोजक व एआईएमएम के प्रदेश प्रभारी अली अहमद ने कहा कि कि रोहिंग्या का कत्लेआम मानवता का कत्ले आम है।
उन्होंने भारत सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि वह १४ हजार पीडित और सताए रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देनेसे इंकार करकररहा है, जबकि भारत ने अतीत में बांगला देश के चकमा और श्रीलंका के तमिलों को शरण दे रखा है। इसकेअलावा पाकिस्तानी हिंदुओं को भी अपना रखा है। इसमें चकमा और तमिल आतंकियों को भी शरण दी गई है। तिब्बत के लाखों लाखों लोग आज कई दशक से भारत में शरण लिये हुए हैं।
अली अहमद ने कहा कि जब देश में 5 लाख शरणार्थी पहले से हैं तो १४ हजार रोहिंग्या को शरण क्यों नहीं, जबकिसुप्रीम कार्ट ने भी कह रखा है कि कोई देश किसी शरणणर्थी के जाने के अधिकार को नहीं रोक सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या रोहिंग्या मोदी सरकार में केवल मुसलमान होने के कारण शरण नहीं दे रही है।
सभा के बाद प्रशासन को प्रधानमंत्री के नाम दिये 7 सूत्री ज्ञापन में मांग की गई कि वह रोहिंग्या समस्या को धर्म के आधार पर नहीं वरना मानवता की नजर से देखे। कार्यक्रम को गुलाम नबी आजाद और सादिक शेख ने भी सम्बोधित किया।