कानपुर के अधिवक्ताओं के आह्वान पर न्यायिक कार्य से विरत हुये अधिवक्तागण
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। सिविल सिद्धार्थ बार एसोसिएशन के अधिवक्तागण कानपुर बार एसोसिएशन एवं द लायर्स एसोसिएशन के आह्वान पर दो दिवस तक न्यायिक कार्य से विरत रहने का प्रस्ताव पारित किया जिससे बुधवार को किसी न्यायालय, अधिकरण, स्थायी लोक अदालत, परिवार न्यायालय, चकबन्दी एवं राजस्व न्यायालयों सहित तहसील न्यायालय में न्यायिक कार्य नहीं हुआ।
कानपुर बार एसोसिएशन एवं द लायर्स एसोसिएशन कानपुर के अधिवक्तागण वहाँ के जिला जज संदीप जैन के मनमाने कार्य प्रणाली एवं अधिवक्ताओं के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से क्षुभित होकर विगत कई दिनों से उनके स्थानांतरण की माँग पर अड़े रहकर न्यायिक कार्य से विरत हैं।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा सात जजों की पीठ बिठाकर कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महामंत्री को तलब करके न्यायिक अवमानना का आरोप तय करते हुए लाइसेंस निरस्त करने की बात करते हुए कहा गया कि हड़ताल वापस लें जिस पर उन लोगों ने कहा कि चाहे अवमानना की कार्यवाही करें या लाइसेंस निरस्त करें हमलोग जिला जज के स्थानांतरण तक हड़ताल वापस नहीं लेंगे, हम लोगों के ऊपर कार्यवाही करना है तो जिला जज के ऊपर भी कार्यवाही होनी चाहिये। मेरा लाइसेंस निरस्त कर दें कोई बात नहीं किसान का बेटा हूँ खेती करके जीवन गुजार दूँगा लेकिन अधिवक्ताओं के मान-सम्मान से समझौता नहीं करूँगा।
महामंत्री सिद्धनाथ पाण्डेय ने बताया कि कानपुर बार एसोसिएशन एवं द लायर्स बार एसोसिएशन के दो दिवसीय कार्य से विरत रहने के आह्वान पर सिविल सिद्धार्थ बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने कानपुर के अधिवक्ताओं का समर्थन करते हुए बुधवार एवं वृहस्पतिवार को न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया, जिसके अनुक्रम में सभी अधिवक्तागण बुधवार को न्यायिक कार्य से विरत रहे और आज भी न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।
अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से विरत रहने के कारण जनपद एवं सत्र न्यायालय व अधीनस्थ न्यायालयों, परिवार न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, स्थाई लोक अदालत, उपभोक्ता प्रतितोष आयोग, राजस्व न्यायालयों, चकबन्दी न्यायालयों तथा तहसील न्यायालय में न्यायिक कार्य नहीं हुआ।