वार्ड नम्बर 19 डुमरियागंज में आज मुमकिन है मतों का ध्रुवीकरण, आखिरी कोशिश में जुटे उम्मीदवार

October 16, 2015 8:26 AM0 commentsViews: 219
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नजीर मलिक

afsar irfan(1)
19 नम्बर का वार्ड तहसील के सबसे जागरूक वोटरों का इलाका माना जाना है। यहां मतदाताओं को लोभ लालच के जाल में फंसाना थोड़ा मुश्किल है। वोटर आज तय कर लेगा कि विरोधी को हराने के लिए उसके द्धारा किसे खेमे का समर्थन किया जाये।

यहां इरफान मलिक, अफसर रिजवी, कसीम रिजवी, अयूब मलिक और कांती पांडेय के बीच जबरदस्त संघर्ष है। लेकिन वोटरों की जागरूकता का इतिहास जानने वालों को पता है कि मतदान की सुबह तक फैसले बदलने का काम तेज होगा।

माना जा रहा है कि हल्लौर के निवासी दो उम्मीदवारों सपा के अफसर रिजवी और भाजपा के कसीम रिजवी में हल्लौर का बहुुमत वोट किसे मिले, इस पर वहां के पांच हजार मतदाता जबरदस्त मंथन में लगे हैं। तो इस क्षेत्र के मलिक बाहुल्य गांव भी यह तय करने में लगे हैं कि इरफान मलिक और अयूब मलिक में किसे तरजीह दिया जाये।

भाजपा उम्मीदवार कसीम रिजवी के लिए हल्लौर थोड़ा कठिन है। अगर मतदाताओं को लगा कि क्षेत्र के भजपा समर्थक वोट कसीम के बजाये किसी और उम्मीदवार को मिल रहे हैं, तो हल्लौरवासी उनसे छिटक सकते हैं। लेकिन अगर कसीम को भाजपा के परंपरागत मत मिलते दिखे तो अफसर रिजवी अपने गांव में कमजोर हो सकते हैं।

दूसरी तरफ मलिक प्रभाव वाले गांवों में विधायक पुत्र इरफान मलिक और स्व. विधायाक के भाई अयूब मलिक में घमासान है। हालांकि इरफान मलिक यहां थोड़े लाभ में दिख रहे हैं। दरअसल अयूब मलिक के गांव बिथरिया में चुनावों के दौरान अक्सर इरफान इरफान के पिता मलिक कमाल यूसुफ का खेमा जीतता रहा है। इसलिए वह मलिकों को भरोसा दिलने में कामयाब हो सकते हैं कि वह अधिक मजबूत है।

वैसे अयूब मलिक की भतीजी सैयदा मलिक सशक्त नेता के तौर पर उभरी हैं। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने चाचा के लिए क्या कर सकती हैं।

इरफान की ताकत उनके पिता विधायक मलिक कमाल यूसुफ हैं, जिसके कारण उन्हें अगया, सेमरी, सोनखर, धनखरपु, बनगवा कंचनपुर जैसे गांवों में अपेक्षाकृत अधिक समर्थन मिल रहा है।

जहां तक कांती पांउेय का सवाल है उनका वोट स्थिर है। उनकी स्थिति अन्य प्रत्याशियों को मिलने वाले मतों के हिसाब से ही तय होगी। सभी के बीच लड़ाई कांटे की होगी तो कांती की राह आसान हो जायेगी।

फिलहाल इस इलाके में अपने खेमे को मजबूत बनाने की आखिरी कोशिशें जारी हैं। अयूब मलिक का खेमा बिथरिया के सात गांवों में अपना जनाधर मजबूत करने की फिराक में है, तो इरफान मलिक के लोग उन गांवों में अपनी पुरानी पोजीशन बहाल रखने के लिए ताकत लगाये हुए है।

कुल मिला कर आने वाले 24 घंटो में वोटों के ध्रुवीकरण का अनुमान अधिक है। हल्लौर का बहुमत वोट अगर अफसर और कसीम की तकदीर का फैसला करेगा तो कादिराबद और बिथरिया, इरफान मलिक और अयूब मलिक के पक्ष या विपक्ष में इबारत लिखेगा।

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