AIMIM के महाराष्ट्र अध्यक्ष गुरुवार को हो सकते हैं सपा में शामिल, औरंगाबाद में तैयारियां शुरू

April 30, 2018 3:41 PM1 commentViews: 1065
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नजीर मलिक

 

“महाराष्ट्र में एमआईएम को बड़ा झटका लगने वाला है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष  सैयद असद मोईन जल्द ही पार्टी को अलविदा कर सपा का दामन थाम सकते हैं।  एसआईएम के प्रदेश अध्यक्ष सैयद मोईन ने सपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आज़मी से हाल में मुलाकात की है। दोनों में इस पर सहमति बन चुकी है। असद मोईन काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे।”

सपा प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम के मुताबिक एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष   3 मई को औरंगाबाद में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान सपा में शामिल होंगे। इसके लिए औरंगाबाद में उनके स्वागत के लिए भव्य कसर्यक्रम की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सपा का दावा है कि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष असद मोईन के साथ उनकी पार्टी के लगभग एक हजार वर्क वर्कर भी समाजवादीवादी पार्टी में शामिल होंगे। यह महाराष्ट्र में सपा का बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है।

बता दें कि तेलंगाना के बाद महाराष्ट्र में पहली बार चुनाव लडने वाली एमआईएम ने विधान सभा के चुनाव में दो सीटों पर जीत हासिल करके सबको चौका दिया था। यहां वारिस पठान और इम्तयाज़ जलील को चुनाव में सफलता मिली थी। इसके बाद पार्टी को कई नगर पालिका और नगर निगमों में सभासदों की कई सीटें हासिल हुई थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सैयद मोईन ने एक जाबाज़ सिपाही के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी। महाराष्ट्र में ओवैसी की पार्टी को खड़ा करने में  असद मोईन की बड़ी भूमिका बताई जा रही है।

एमआईएम प्रदेश अध्यक्ष सैयद मोईन को नांदेड़ में हुए एक विवाद में प्रशासन ने जेल भेज दिया था। सैयद मोईन करीब एक महीने तक जेल में रहे। इस दौरान न तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी उनका हाल-चाल लेने पहुंचे और न ही पार्टी का कोई दूसरा बड़ा नेता उनसे मिलने पहुंचा। सैयद मोईन जब जेल से बाहर आए तभी से उनकी नाराज़गी दिख रही थी।

सूत्रों के मुताबिक असद मोईन का दर्द है कि जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद एआईएमआईएम के आलाकमान को कोई फिक्र नहीं है तो भला ऐसी पार्टी जनता के दर्द को क्या महसूस करेगी।  फिलहाल सैयद मोईन को अबू आसिम ने सपा के सांचे में ढाल कर बड़ा काम किया है। अब देखना है कि महाराष्ट्र के मुस्लिम समाज में इस परिवर्तन का कितना असर पड़ता है और वहां की मुस्लिम राजनीति किस तरफ करवट बदलती है।

 

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